⮪ All भगवान की कृपा Experiences

श्रीगणेशके आज भी दर्शन होते हैं

गणेशजी विघ्नोंका नाश करनेवाले सिद्धिदाता तथा सर्वाग्रपूज्य हैं। चाहे सम्प्रदाय कोई भी क्यों न हो, प्रत्येक हिंदूको किसी भी देवताकी उपासना अथवा किसी भी कार्यके प्रारम्भमें श्रीगणपतिकी पूजा करनी ही पड़ती है।

सनातनधर्ममें गणपतिकी उपासना एक दृष्टिसे देखनेपर सर्वापेक्षा प्रयोजनीय है; क्योंकि प्रारम्भमें उनकी पूजा बिना किये किसी कार्यमें अग्रसर होना असम्भव है । इस दृष्टिसे हममें प्रत्येक ही गाणपत्य-सम्प्रदायके अनुयायी हैं। प्रत्येक हिंदूके घर, दूकान एवं कार्यालयमें गणेशजीका चित्र या उनकी प्रतिमूर्ति रखी जाती है ।

विघ्नविनाशक गणपति शंकरजीके समान आशुतोष, सदानन्द और करुणामय हैं। वे थोड़ेमें ही सन्तुष्ट हो जाते हैं, भक्तोंको उनके अब भी दर्शन होते हैं —

१- लेखकके परम मित्र रायबहादुर मनोमोहन कक्कड़ काश्मीरके गवर्नर थे। वे निष्ठावान् काश्मीरी ब्राह्मण थे। इंदौर में रहते थे उनको भगवान् गणेशकी विशाल मूर्तिका दर्शन हुआ था। भगवान्ने मृदुहास्य करते हुए उन्हें दर्शन दिया था।

२-लेखकके निकट-आत्मीय एक सात वर्षके बालकने जगन्नाथजीके मन्दिर, पुरीके प्रांगणमें देवसभामें गणेश और कार्तिकेयके मल्लयुद्धका एक अलौकिक दृश्य देखा था। गणेशने शुण्डके द्वारा कार्तिकेयको फेंक दिया था। यह देखकर वह हँस पड़ा था। यह सन् १९३४ ई० की घटना है।

३-लेखकके सुपरिचित एक ब्राह्मणने खागड़ा (मुर्शिदाबाद) - में गंगास्नानके समय जलके भीतर देखनेपर थोड़ी दूरपर गणेशकी मूर्ति देखी थी। आश्चर्यकी बात है कि गणेशजी एक मत्स्यके ऊपर बैठे थे। वह कुछ कुछ चन्दा मछलीसे मिलती थी। मत्स्यवाहन गणेशकी प्रतिमाकी कोई कल्पना भी नहीं करता। जान पड़ता है कि जल-तत्त्वके अधिपतिने इसी रूपमें उन्हें दर्शन दिया था। यह सन् १९३४ ई० के नवम्बर मासकी घटना है।

[ श्रीनीरजाकान्तजी चौधुरी देवशर्मा ]



You may also like these:

Real Life Experience प्रभुकृपा


shreeganeshake aaj bhee darshan hote hain

ganeshajee vighnonka naash karanevaale siddhidaata tatha sarvaagrapoojy hain. chaahe sampradaay koee bhee kyon n ho, pratyek hindooko kisee bhee devataakee upaasana athava kisee bhee kaaryake praarambhamen shreeganapatikee pooja karanee hee pada़tee hai.

sanaatanadharmamen ganapatikee upaasana ek drishtise dekhanepar sarvaapeksha prayojaneey hai; kyonki praarambhamen unakee pooja bina kiye kisee kaaryamen agrasar hona asambhav hai . is drishtise hamamen pratyek hee gaanapatya-sampradaayake anuyaayee hain. pratyek hindooke ghar, dookaan evan kaaryaalayamen ganeshajeeka chitr ya unakee pratimoorti rakhee jaatee hai .

vighnavinaashak ganapati shankarajeeke samaan aashutosh, sadaanand aur karunaamay hain. ve thoda़emen hee santusht ho jaate hain, bhaktonko unake ab bhee darshan hote hain —

1- lekhakake param mitr raayabahaadur manomohan kakkada़ kaashmeerake gavarnar the. ve nishthaavaan kaashmeeree braahman the. indaur men rahate the unako bhagavaan ganeshakee vishaal moortika darshan hua thaa. bhagavaanne mriduhaasy karate hue unhen darshan diya thaa.

2-lekhakake nikata-aatmeey ek saat varshake baalakane jagannaathajeeke mandir, pureeke praanganamen devasabhaamen ganesh aur kaartikeyake mallayuddhaka ek alaukik drishy dekha thaa. ganeshane shundake dvaara kaartikeyako phenk diya thaa. yah dekhakar vah hans pada़a thaa. yah san 1934 ee0 kee ghatana hai.

3-lekhakake suparichit ek braahmanane khaagada़a (murshidaabaada) - men gangaasnaanake samay jalake bheetar dekhanepar thoda़ee doorapar ganeshakee moorti dekhee thee. aashcharyakee baat hai ki ganeshajee ek matsyake oopar baithe the. vah kuchh kuchh chanda machhaleese milatee thee. matsyavaahan ganeshakee pratimaakee koee kalpana bhee naheen karataa. jaan pada़ta hai ki jala-tattvake adhipatine isee roopamen unhen darshan diya thaa. yah san 1934 ee0 ke navambar maasakee ghatana hai.

[ shreeneerajaakaantajee chaudhuree devasharma ]

56 Views

A Beautiful Bhagwad Gita Reader
READ NOW FREE
How To Cultivate Gratitude For God And Feel Blessed In Life?9 Must Have Qualities Of A Good Vaishnav DevoteeKey Importance Of Bhav And Ras In Krishna Bhakti11 Tips For Enhancing Devotional Service For Busy People



Bhajan Lyrics View All

सज धज कर जिस दिन मौत की शहजादी आएगी,
ना सोना काम आएगा, ना चांदी आएगी।
मुँह फेर जिधर देखु मुझे तू ही नज़र आये
हम छोड़के दर तेरा अब और किधर जाये
मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री कैसो चटक
श्याम मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे दवार,
यहाँ से जो मैं हारा तो कहा जाऊंगा मैं
जिंदगी एक किराये का घर है,
एक न एक दिन बदलना पड़ेगा॥
श्याम हमारे दिल से पूछो, कितना तुमको
याद में तेरी मुरली वाले, जीवन यूँ ही
हम प्रेम नगर के बंजारिन है
जप ताप और साधन क्या जाने
ये सारे खेल तुम्हारे है
जग कहता खेल नसीबों का
सांवरियो है सेठ, म्हारी राधा जी सेठानी
यह तो जाने दुनिया सारी है
मन चल वृंदावन धाम, रटेंगे राधे राधे
मिलेंगे कुंज बिहारी, ओढ़ के कांबल काली
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से
गोविन्द नाम लेकर, फिर प्राण तन से
हम प्रेम दीवानी हैं, वो प्रेम दीवाना।
ऐ उधो हमे ज्ञान की पोथी ना सुनाना॥
हम हाथ उठाकर कह देंगे हम हो गये राधा
राधा राधा राधा राधा
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं
वो तो दशरथ राज दुलारे हैं
बृज के नंदलाला राधा के सांवरिया,
सभी दुःख दूर हुए, जब तेरा नाम लिया।
दुनिया का बन कर देख लिया, श्यामा का बन
राधा नाम में कितनी शक्ति है, इस राह पर
राधा नाम की लगाई फुलवारी, के पत्ता
के पत्ता पत्ता श्याम बोलता, के पत्ता
सावरे से मिलने का सत्संग ही बहाना है ।
सारे दुःख दूर हुए, दिल बना दीवाना है ।
मीठी मीठी मेरे सांवरे की मुरली बाजे,
होकर श्याम की दीवानी राधा रानी नाचे
प्रभु कर कृपा पावँरी दीन्हि
सादर भारत शीश धरी लीन्ही
राधे तेरे चरणों की अगर धूल जो मिल जाए
सच कहता हू मेरी तकदीर बदल जाए
किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाए।
जुबा पे राधा राधा राधा नाम हो जाए॥
मेरा अवगुण भरा रे शरीर,
हरी जी कैसे तारोगे, प्रभु जी कैसे
नी मैं दूध काहे नाल रिडका चाटी चो
लै गया नन्द किशोर लै गया,
श्याम बंसी ना बुल्लां उत्ते रख अड़ेया
तेरी बंसी पवाडे पाए लख अड़ेया ।
हर साँस में हो सुमिरन तेरा,
यूँ बीत जाये जीवन मेरा
कारे से लाल बनाए गयी रे,
गोरी बरसाने वारी
हो मेरी लाडो का नाम श्री राधा
श्री राधा श्री राधा, श्री राधा श्री
जय राधे राधे, राधे राधे
जय राधे राधे, राधे राधे
मेरी विनती यही है राधा रानी, कृपा
मुझे तेरा ही सहारा महारानी, चरणों से

New Bhajan Lyrics View All

गणराया चा आगमनाला,
ढगांचा आवाज आकाशी झाला,
दुखिया दे दुखड़े हरदा, दर ऐ सतगुरु दा,
सुखा नाल झोलिया भरदा, दर ऐ सतगुरु दा,
मेरे मन में बसे भोलेनाथ, हरपल याद करू...
शिव भोला भंडारी नज़र तेरी मुझ पर हो
मेरा घर आँगन भी खुशियों से भर जाये,
ओहदी ज़िन्दगी च कमी ना कोई रेह्न्दी,
जो नाम जपे सतगुरु दा,