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माँ वैष्णो देवीकी कृपाकी अनुभूति

सन् २०१० ई०की बात है, मेरी पत्नी और मैं वैष्णवी देवी (वैष्णोदेवी) - के दर्शनके लिये दिल्लीसे रेलद्वारा कटरा गये। मेरी पत्नी अस्थमासे ग्रस्त थी, जिसके कारण वह एक किलोमीटर भी पैदल नहीं चल सकती थी

बाणगंगामें स्नान करनेके बाद मैंने अपनी पत्नीसे खच्चरपर बैठकर चढ़ाई चढ़नेके लिये कहा। तब मेरी पत्नीने कहा—‘मातारानीको मुझे बुलाना होगा तो वे पैदल ही बुला लेंगी। मैं मातारानीके दर्शनके लिये पैदल ही जाऊँगी' और वह 'जय माता दी' कहती हुई चढ़ाई चढ़ने लगी।

जब हम भवनसे केवल दो किलोमीटर दूर रह गये, तो हमें पश्चिम विहार दिल्लीके किसी कॉलेजके लड़के-लड़कियोंका एक ग्रुप मिला। उनमें से एक लड़कीने आकर मेरी पत्नीसे कहा-'आण्टी ! आपको चलनेमें बहुत परेशानी हो रही है। अब नहीं होगी। आप मेरे कन्धेपर हाथ रखकर मेरे सहारे चलो।' मेरी पत्नीने मना किया कि अब हम भवनके पास आ ही गये हैं। परंतु वह लड़की नहीं मानी और अपने कन्धेपर मेरी पत्नीका हाथ रखकर चलने लगी। उसके साथके एक लड़केने मेरा बैग पकड़ लिया और मुझसे पूछा 'अंकलजी ! आप कितने सदस्य हैं ?' मैंने बताया 'हम तो केवल दो सदस्य है।' तो उसने कहा-'आप हमारे साथ ही दर्शन करना; क्योंकि मेरे पास २१ सदस्योंकाडिफेंसका पास है और हम केवल पन्द्रह सदस्य हैं और दो आपको मिलाकर १७ सदस्य होंगे।'

ऊपर जाकर माताजीके दर्शन करनेसे पहले स्नान करना आवश्यक होता है। हम दोनोंने जल्दी स्नान कर लिया, मगर वे कुछ लोग स्नान करने गये हुए थे तथा कुछ बैठे हुए गपशप कर रहे थे। इतनेमें एक अजनबी आदमी मेरे पास आया और मुझसे पूछा कि क्या मैंने मातारानीके दर्शन कर लिये हैं? मेरे इनकार करनेपर उसने कहा- 'मेरे पास वी०आई०पी० पास है आप कितने आदमी हैं।' मैंने कहा हम दो आदमी हैं तो उसने कहा 'यह पास भी दो सदस्योंका ही है।' अब मैं उस लड़केकी तरफ देखने लगा, जो मेरा बैग लेकर गया था। उस लड़केने कहा—'अंकलजी ! जाओ! आपके लिये मातारानीने वी०आई०पी० पास भेजा है।' मैंने उस आदमीसे पास ले लिया और वी०आई०पी० गेटसे अन्दर जाकर माता वैष्णोदेवीके दर्शन किये और माताजीको पासके लिये धन्यवाद किया।

अब आप सोचिये, जो अस्थमाका मरीज एक किलोमीटर पैदल नहीं चल सकता, उसने बारह किलोमीटरकी चढ़ाई कैसे की, फिर मातारानीने उसके लिये वी०आई०पी० पास भेजा। ये माताजीकी अपनी सन्तानपर हुई कृपाकी अनुभूति नहीं तो क्या है ?

[ श्रीजयनारायणजी शर्मा ]



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maan vaishno deveekee kripaakee anubhooti

san 2010 ee0kee baat hai, meree patnee aur main vaishnavee devee (vaishnodevee) - ke darshanake liye dilleese reladvaara katara gaye. meree patnee asthamaase grast thee, jisake kaaran vah ek kilomeetar bhee paidal naheen chal sakatee thee

baanagangaamen snaan karaneke baad mainne apanee patneese khachcharapar baithakar chadha़aaee chadha़neke liye kahaa. tab meree patneene kahaa—‘maataaraaneeko mujhe bulaana hoga to ve paidal hee bula lengee. main maataaraaneeke darshanake liye paidal hee jaaoongee' aur vah 'jay maata dee' kahatee huee chaढ़aaee chaढ़ne lagee.

jab ham bhavanase keval do kilomeetar door rah gaye, to hamen pashchim vihaar dilleeke kisee kaॉlejake lada़ke-lada़kiyonka ek grup milaa. unamen se ek lada़keene aakar meree patneese kahaa-'aantee ! aapako chalanemen bahut pareshaanee ho rahee hai. ab naheen hogee. aap mere kandhepar haath rakhakar mere sahaare chalo.' meree patneene mana kiya ki ab ham bhavanake paas a hee gaye hain. parantu vah lada़kee naheen maanee aur apane kandhepar meree patneeka haath rakhakar chalane lagee. usake saathake ek lada़kene mera baig pakada़ liya aur mujhase poochha 'ankalajee ! aap kitane sadasy hain ?' mainne bataaya 'ham to keval do sadasy hai.' to usane kahaa-'aap hamaare saath hee darshan karanaa; kyonki mere paas 21 sadasyonkaadiphensaka paas hai aur ham keval pandrah sadasy hain aur do aapako milaakar 17 sadasy honge.'

oopar jaakar maataajeeke darshan karanese pahale snaan karana aavashyak hota hai. ham dononne jaldee snaan kar liya, magar ve kuchh log snaan karane gaye hue the tatha kuchh baithe hue gapashap kar rahe the. itanemen ek ajanabee aadamee mere paas aaya aur mujhase poochha ki kya mainne maataaraaneeke darshan kar liye hain? mere inakaar karanepar usane kahaa- 'mere paas vee0aaee0pee0 paas hai aap kitane aadamee hain.' mainne kaha ham do aadamee hain to usane kaha 'yah paas bhee do sadasyonka hee hai.' ab main us lada़kekee taraph dekhane laga, jo mera baig lekar gaya thaa. us lada़kene kahaa—'ankalajee ! jaao! aapake liye maataaraaneene vee0aaee0pee0 paas bheja hai.' mainne us aadameese paas le liya aur vee0aaee0pee0 getase andar jaakar maata vaishnodeveeke darshan kiye aur maataajeeko paasake liye dhanyavaad kiyaa.

ab aap sochiye, jo asthamaaka mareej ek kilomeetar paidal naheen chal sakata, usane baarah kilomeetarakee chadha़aaee kaise kee, phir maataaraaneene usake liye vee0aaee0pee0 paas bhejaa. ye maataajeekee apanee santaanapar huee kripaakee anubhooti naheen to kya hai ?

[ shreejayanaaraayanajee sharma ]

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