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माँ दुर्गाके वात्सल्यकी अनुभूति

यह बात दिसम्बर २०२०ई० की है। मेरी माँ भगवतीपर पूर्ण श्रद्धा है। २४ दिसम्बरको रातको अचानक मेरी साँस फूलने लगी। मेरी बहू, जो स्वयं एक डॉक्टर है, उसने कहा—'पापा! क्या आपको कुछ परेशानी है? लगता है। कि आपकी साँस फूल रही है।' मैंने टालनेकी दृष्टिसे कहा- 'थोड़ी-थोड़ी जल्दी ठीक हो जायगी।' बहूने मेरा पूरा परीक्षण किया और कहा-'रक्तचाप बढ़ा हुआ है, पल्स भी कम है और ऑक्सीजन लेबल बेहद कम है।' घरके अन्य सदस्योंने तुरंत निर्णय लिया कि शीघ्र अस्पतालमें भर्ती करना होगा। 'कोरोना' की वजहसे कहीं भी जगह नहीं मिल रही थी, किंतु माँ भगवतीकी कृपासे मुझे एक अस्पतालमें जगह मिल गयी। मैं आई०सी०यू० में भर्ती हो गया। मेरा तुरंत 'चैकअप' हुआ तथा मेरी दो धमनियाँ ९८ प्रतिशततक अवरुद्ध पड़ गयीं। शीघ्र ही स्टैंट लगानेका निर्णय लिया गया और मैं ऑपरेशन थियेटर ले जाया गया। स्टेंट डालनेकी क्रियाआरम्भ हुई, और मैं सामने लगे मॉनीटरपर कुछ देख रहाथा। करीब ४५ मिनट बाद जब 'ऑपरेशन' समाप्त हीहोनेवाला था, मेरी चेतना जाती रही।

मैंने महसूस किया कि जैसे कोई मेरे कानके समीप बैठकर 'दुर्गासप्तशती' का पाठ कर रहा है। कभी मुझे स्वर्गवासी माँकी आवाज लगती, कभी पत्नीकी, कभी पुत्रवधूकी और कभी लगता कोई अनजानी अनपहचानी स्त्रीकी आवाज है। यह क्रम चलता रहा। लगभग डेढ़ घण्टे बाद धीरे-धीरे मेरी चेतना लौटने लगी। मैं पुनः 'मॉनीटर' पर सब कुछ देखनेमें सक्षम था। दुर्गासप्तशतीका पाठ भी समाप्त हो गया। मुझे पुनः आई०सी०यू० में नींदका इंजेक्शन देकर सुला दिया गया। सुबह १० बजेमेरी नींद खुली तो देखा चार-पाँच डॉक्टर मेरे सामने खड़े थे। 'सर! ठीक हैं आप ? कैसा महसूस हो रहा है ?' मैंने कहा 'ठीक हूँ।'

उनमेंसे एक डॉक्टर साहब बोले-'अरे, आपने तो कल रात हमारे हाथ-पाँव ही फुला दिये थे। चलो अच्छा है, ईश्वरकी कृपासे आप ठीक हैं।' मैं असमंजसमें पड़ गया। ये क्या कह रहे हैं? चार दिन बाद मुझे अस्पताल से छुट्टी मिल गयी। मैं घर आया तो सबसे पहले मैंने पुत्रवधूसे पूछा- 'अस्पतालमें डॉक्टर लोग क्या कह रहे थे, उनके हाथ-पाँव क्यों फूल गये थे ?'

बहूने बताया कि स्टेंट डालते समय आपको अचानक हेमरेज (रक्तस्राव) हो गया। आपके दिलकी धड़कन, नब्ज, ब्लडप्रेशर, ऑक्सीजन लेबल सब कुछ लगभग इतना गिर गया था कि सबके हाथ-पाँव फूल गये थे। आपके बचनेकी उम्मीद शून्य थी। आपको पाँच बोतल खून दिया गया, बाहर बैठे हम सभी लोग बहुत परेशान थे कि ४२ मिनटके ऑपरेशनमें ढाई घण्टे क्यों लग गये? अब मेरी समझमें सब कुछ आ गया। मेरी चेतनाका शून्य हो जाना, मेरे समीप बैठी किसी अदृश्य शक्तिका दुर्गासप्तशतीका पाठ करना आदि। मैं अब सोचता हूँ, वह अदृश्य शक्ति कोई और नहीं, स्वयं माँ दुर्गा थीं, जो मेरे सिरपर हाथ रखकर मेरी रक्षा कर रही थीं, और मैं उनकी कृपासे कष्टको परास्त करके पुनः स्वस्थ हो गया।

और मेरा मानना है कि शरणागत-भक्ति ही सर्वश्रेष्ठ भक्ति है। मेरी माँ भगवती दुर्गा, भुवनेश्वरीपर श्रद्धा और भी प्रगाढ़ हो गयी। धन्य हो माँ तुम! भक्तवत्सला माँ दुर्गा! तुम्हें शत-शत प्रणाम ! [ श्रीनवेन्द्रजी पैन्यूली ]



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maan durgaake vaatsalyakee anubhooti

yah baat disambar 2020ee0 kee hai. meree maan bhagavateepar poorn shraddha hai. 24 disambarako raatako achaanak meree saans phoolane lagee. meree bahoo, jo svayan ek daॉktar hai, usane kahaa—'paapaa! kya aapako kuchh pareshaanee hai? lagata hai. ki aapakee saans phool rahee hai.' mainne taalanekee drishtise kahaa- 'thoda़ee-thoda़ee jaldee theek ho jaayagee.' bahoone mera poora pareekshan kiya aur kahaa-'raktachaap badha़a hua hai, pals bhee kam hai aur ऑkseejan lebal behad kam hai.' gharake any sadasyonne turant nirnay liya ki sheeghr aspataalamen bhartee karana hogaa. 'koronaa' kee vajahase kaheen bhee jagah naheen mil rahee thee, kintu maan bhagavateekee kripaase mujhe ek aspataalamen jagah mil gayee. main aaee0see0yoo0 men bhartee ho gayaa. mera turant 'chaikaapa' hua tatha meree do dhamaniyaan 98 pratishatatak avaruddh pada़ gayeen. sheeghr hee staint lagaaneka nirnay liya gaya aur main ऑpareshan thiyetar le jaaya gayaa. stent daalanekee kriyaaaarambh huee, aur main saamane lage maॉneetarapar kuchh dekh rahaathaa. kareeb 45 minat baad jab 'ऑpareshana' samaapt heehonevaala tha, meree chetana jaatee rahee.

mainne mahasoos kiya ki jaise koee mere kaanake sameep baithakar 'durgaasaptashatee' ka paath kar raha hai. kabhee mujhe svargavaasee maankee aavaaj lagatee, kabhee patneekee, kabhee putravadhookee aur kabhee lagata koee anajaanee anapahachaanee streekee aavaaj hai. yah kram chalata rahaa. lagabhag dedha़ ghante baad dheere-dheere meree chetana lautane lagee. main punah 'maॉneetara' par sab kuchh dekhanemen saksham thaa. durgaasaptashateeka paath bhee samaapt ho gayaa. mujhe punah aaee0see0yoo0 men neendaka injekshan dekar sula diya gayaa. subah 10 bajemeree neend khulee to dekha chaara-paanch daॉktar mere saamane khada़e the. 'sara! theek hain aap ? kaisa mahasoos ho raha hai ?' mainne kaha 'theek hoon.'

unamense ek daॉktar saahab bole-'are, aapane to kal raat hamaare haatha-paanv hee phula diye the. chalo achchha hai, eeshvarakee kripaase aap theek hain.' main asamanjasamen pada़ gayaa. ye kya kah rahe hain? chaar din baad mujhe aspataal se chhuttee mil gayee. main ghar aaya to sabase pahale mainne putravadhoose poochhaa- 'aspataalamen daॉktar log kya kah rahe the, unake haatha-paanv kyon phool gaye the ?'

bahoone bataaya ki stent daalate samay aapako achaanak hemarej (raktasraava) ho gayaa. aapake dilakee dhada़kan, nabj, bladapreshar, ऑkseejan lebal sab kuchh lagabhag itana gir gaya tha ki sabake haatha-paanv phool gaye the. aapake bachanekee ummeed shoony thee. aapako paanch botal khoon diya gaya, baahar baithe ham sabhee log bahut pareshaan the ki 42 minatake ऑpareshanamen dhaaee ghante kyon lag gaye? ab meree samajhamen sab kuchh a gayaa. meree chetanaaka shoony ho jaana, mere sameep baithee kisee adrishy shaktika durgaasaptashateeka paath karana aadi. main ab sochata hoon, vah adrishy shakti koee aur naheen, svayan maan durga theen, jo mere sirapar haath rakhakar meree raksha kar rahee theen, aur main unakee kripaase kashtako paraast karake punah svasth ho gayaa.

aur mera maanana hai ki sharanaagata-bhakti hee sarvashreshth bhakti hai. meree maan bhagavatee durga, bhuvaneshvareepar shraddha aur bhee pragaadha़ ho gayee. dhany ho maan tuma! bhaktavatsala maan durgaa! tumhen shata-shat pranaam ! [ shreenavendrajee painyoolee ]

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