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भजन- प्रताप

भारत देशके मध्यप्रदेशमें पुण्यसलिला नर्मदा पूर्वसे पश्चिमकी ओर बहती हैं, जिनके उत्तरी भागमें विन्ध्याचल एवं दक्षिणमें सतपुड़ा पर्वत शृंखला है। सतपुड़ा की सुरम्य वादियोंमें सूर्यपुत्री ताप्तीका भी उद्गमस्थल है। अंग्रेजी शासनमें इसे मुलताई नाम दिया गया, जो बैतूल जिलेकी एक तहसील हैं।

बात उन्नीसवीं सदीके उत्तरार्धकी है। मुलताईसे १३ कि०मी० दूर देवभिलाई ग्राममें गिरधर एवं सीताराम नामके दो भाई रहते थे। कृषिकार्यके साथ भगवान्‌का भजन करते थे। उनके घर अक्सर भजन होते रहते थे। जो कि कृष्ण, राम, शिव, गणेश एवं दुर्गाजीकी महिमासे भरे होते थे श्रावण एवं कार्तिकमासके समय भजन मण्डली नित्य ही ग्रामदेवताओंके पास जाती थी। जन्माष्टमीका पर्व वे लोग धूम-धामसे मनाते थे।

एक दिनकी बात है, गिरधर साव कुछ उदास बैठे थे, तभी गाँवकी एक भक्त महिला गेंदाबाई वहाँ आयीं। गेंदाबाई पंढरपुरके विट्ठल-रुक्मिणीकी भक्त थीं और वे सालमें एक बार वहाँ अवश्य जाती थीं। उन्होंने पूछा 'दादा ! (भतीजेके लिये मराठीमें प्रेम-सम्बोधन) उदास क्यों हो ?" 'क्या बतलाऊँ काकी, घरमें सब कुछ है, पर पुत्रनहीं है।' गिरधरने जवाब दिया। 'क्या पुत्र होगा तो तू अपने गाँवमें भी विट्ठल रुक्मिणीके झण्डे लगवायेगा ?' गेंदाबाईने पुनः पूछा। 'हाँ, हाँ क्यों नहीं, मैं जरूर भगवान्के नामसे झण्डे लगवाऊँगा।' गिरधरने कहा। बात आयी गयी हो गयी। समय बीतता गया। गिरधर सावकी पत्नी गर्भवती हुई और सन् १९९४ ई० में जब जन्माष्टमीके पर्वपर भजन चल रहे थे, उसे प्रसवपीड़ा हुई। पुत्रजन्मसे पर्वका उत्सव द्विगुणित हुआ। नाम रखा गया किशन। जब बालक किशन पाँच वर्षका हुआ तो देवभिलाईमें गेंदाबाईके आँगन में ही उनके इष्ट विट्ठल-रुक्मिणीके नामसे दो झण्डे लगाये गये। ये झण्डे समय-समयपर ग्रामजनोंके सहयोगसे बदले जाते हैं। किशन सावके पोते आजतक जन्माष्टमीपर भजनसंध्याका आयोजन अपने घरपर करते हैं। इन चमत्कारपूर्ण देवानुग्रहोंमें भजनका प्रताप ही परिलक्षित होता है। भजन- प्रतापके बारेमें काकभुशुण्डिजीका यह कथन कितना यथार्थ है -

भगति पच्छ हठ करि रहेउँ दीन्ह महारिषि साप ।

मुनि दुर्लभ वर पाय देखहु भजन प्रताप ॥

[ श्रीहरनारायणजी साहू ]



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Real Life Experience प्रभुकृपा


bhajana- prataapa

bhaarat deshake madhyapradeshamen punyasalila narmada poorvase pashchimakee or bahatee hain, jinake uttaree bhaagamen vindhyaachal evan dakshinamen satapuda़a parvat shrinkhala hai. satapuda़a kee suramy vaadiyonmen sooryaputree taapteeka bhee udgamasthal hai. angrejee shaasanamen ise mulataaee naam diya gaya, jo baitool jilekee ek tahaseel hain.

baat unneesaveen sadeeke uttaraardhakee hai. mulataaeese 13 ki0mee0 door devabhilaaee graamamen giradhar evan seetaaraam naamake do bhaaee rahate the. krishikaaryake saath bhagavaan‌ka bhajan karate the. unake ghar aksar bhajan hote rahate the. jo ki krishn, raam, shiv, ganesh evan durgaajeekee mahimaase bhare hote the shraavan evan kaartikamaasake samay bhajan mandalee nity hee graamadevataaonke paas jaatee thee. janmaashtameeka parv ve log dhooma-dhaamase manaate the.

ek dinakee baat hai, giradhar saav kuchh udaas baithe the, tabhee gaanvakee ek bhakt mahila gendaabaaee vahaan aayeen. gendaabaaee pandharapurake vitthala-rukmineekee bhakt theen aur ve saalamen ek baar vahaan avashy jaatee theen. unhonne poochha 'daada ! (bhateejeke liye maraatheemen prema-sambodhana) udaas kyon ho ?" 'kya batalaaoon kaakee, gharamen sab kuchh hai, par putranaheen hai.' giradharane javaab diyaa. 'kya putr hoga to too apane gaanvamen bhee vitthal rukmineeke jhande lagavaayega ?' gendaabaaeene punah poochhaa. 'haan, haan kyon naheen, main jaroor bhagavaanke naamase jhande lagavaaoongaa.' giradharane kahaa. baat aayee gayee ho gayee. samay beetata gayaa. giradhar saavakee patnee garbhavatee huee aur san 1994 ee0 men jab janmaashtameeke parvapar bhajan chal rahe the, use prasavapeeda़a huee. putrajanmase parvaka utsav dvigunit huaa. naam rakha gaya kishana. jab baalak kishan paanch varshaka hua to devabhilaaeemen gendaabaaeeke aangan men hee unake isht vitthala-rukmineeke naamase do jhande lagaaye gaye. ye jhande samaya-samayapar graamajanonke sahayogase badale jaate hain. kishan saavake pote aajatak janmaashtameepar bhajanasandhyaaka aayojan apane gharapar karate hain. in chamatkaarapoorn devaanugrahonmen bhajanaka prataap hee parilakshit hota hai. bhajana- prataapake baaremen kaakabhushundijeeka yah kathan kitana yathaarth hai -

bhagati pachchh hath kari raheun deenh mahaarishi saap .

muni durlabh var paay dekhahu bhajan prataap ..

[ shreeharanaaraayanajee saahoo ]

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