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एक भक्त ने अपने पुत्र के न रहने पर कितनी बड़िया बात कह दी [ जरूर सुनें ]

एक भक्त थे, उनके एक ही पुत्र था, जो सौन्दर्यसम्पन्न, सुशील एवं धर्मात्मा था।

सांसारिक कष्टोंमें ही भक्तकी परीक्षा होती है। कालदेवको भक्तका पुत्र सुख अच्छा न लगा, इसलिये वे उसे छीन ले गये; किंतु भक्त - प्रवरने इसे भी भगवत्कृपा मानकर मृत्युका उपकार ही समझा। भक्तको किंचित् भी शोक-दुःख नहीं हुआ।

लोगोंने उनसे इस विचित्र व्यवहारपर आश्चर्य प्रकट करते हुए पूछा- 'तुम्हारा इकलौता पुत्र | संसारसे उठ गया और तुम प्रसन्न हो रहे हो, उन्माद हो गया है क्या ?' भक्तजी मन्द हँसीके साथ बोले 'माली स्वामीके उपवनका प्रफुल्लित सुन्दर पुष्प अपने स्वामीको देकर प्रसन्न होता है या रोता है ? कुछ समयके लिये प्रभुकी इस संसार वाटिकाका पुष्प (पुत्ररूपमें) मेरी सँभालमें था, अतः यह मेरा कर्तव्य था कि मैं तन-मन-प्राणसे उसकी देख-भाल करूँ। अब समय पूरा होनेपर प्रभुने उसे स्वीकार कर लिया, इस कारण मुझे बड़ा हर्ष हो रहा है।

प्रभुका उपकार तो इसलिये मानता हूँ कि उनकी वस्तुके प्रति न जाने कितनी बार मेरे मनमें (ममतारूप) कुटिलता आयी, उसकी सुरक्षामें भी मुझसे अनेक त्रुटियाँ हुई; परंतु प्रभुने मेरी इन भूलोंकी ओर कुछ ध्यान न दिया, मुझे कभी उलाहना नहीं दिया। भगवान्‌की इस कृपाका अनुभवकर यदि मैं प्रसन्न होता हूँ तो इसमें क्या आश्चर्य है ?'



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ek bhakt ne apane putr ke n rahane par kitanee baड़iya baat kah dee [ jaroor sunen ]

ek bhakt the, unake ek hee putr tha, jo saundaryasampann, susheel evan dharmaatma thaa.

saansaarik kashtonmen hee bhaktakee pareeksha hotee hai. kaaladevako bhaktaka putr sukh achchha n laga, isaliye ve use chheen le gaye; kintu bhakt - pravarane ise bhee bhagavatkripa maanakar mrityuka upakaar hee samajhaa. bhaktako kinchit bhee shoka-duhkh naheen huaa.

logonne unase is vichitr vyavahaarapar aashchary prakat karate hue poochhaa- 'tumhaara ikalauta putr | sansaarase uth gaya aur tum prasann ho rahe ho, unmaad ho gaya hai kya ?' bhaktajee mand hanseeke saath bole 'maalee svaameeke upavanaka praphullit sundar pushp apane svaameeko dekar prasann hota hai ya rota hai ? kuchh samayake liye prabhukee is sansaar vaatikaaka pushp (putraroopamen) meree sanbhaalamen tha, atah yah mera kartavy tha ki main tana-mana-praanase usakee dekha-bhaal karoon. ab samay poora honepar prabhune use sveekaar kar liya, is kaaran mujhe bada़a harsh ho raha hai.

prabhuka upakaar to isaliye maanata hoon ki unakee vastuke prati n jaane kitanee baar mere manamen (mamataaroopa) kutilata aayee, usakee surakshaamen bhee mujhase anek trutiyaan huee; parantu prabhune meree in bhoolonkee or kuchh dhyaan n diya, mujhe kabhee ulaahana naheen diyaa. bhagavaan‌kee is kripaaka anubhavakar yadi main prasann hota hoon to isamen kya aashchary hai ?'

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