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'न जाने किस रूपमें भगवान् मिल जायँ'

बात १६ जनवरी सन् २००२ ई०की है। पिछले २- ३ दिन पहले ही हम अकुलकोट स्वामी समर्थ मन्दिरसे हम लौटकर आये थे। उस दिन सुबह मेरे पिताजी ऑफिस गये थे और वहाँसे साइटके लिये इस्लामपुर जानेवाले थे। मेरी बहन इंजीनियरिंग पढ़ रही थी, दूसरा वर्ष था। मेरा पोस्ट-ग्रेजुएशन होनेके बाद मैं कम्प्यूटर क्लासके लिये ११ बजे जानेवाली थी। मेरी माँने खाना बनानेके बाद पूजा की और तभी उसे कुछ अस्वस्थता होने लगी। घरमें वह अकेली थी। हम सब जा चुके थे। मैं एक-दो घंटेके बाद लौट आनेवाली थी।

माँको बी०पी० की समस्या थी। उसकी वहदवाइयाँ लेती थी। उस दिन गुरुवार था। लगभग साढ़े ग्यारह बजे वह अपनेको असामान्य महसूस करने लगी। उसे कुछ समझमें नहीं आ रहा था। वह घरमें इधर-उधर बेचैन होकर टहलने लगी तथा जोरोंसे 'ॐ नमः शिवाय' का जप करने लगी और एकाएक गिर पड़ी।

माँ जिस समय उस दयनीय अवस्थामें थी, तभी वह किसी प्रकार घिसटती-घिसटती दरवाजेतक आकर हमारे पड़ोसी गाडगिल काकी, मोखासी काका आदिका नाम लेकर पुकारने लगी। बादमें उस पड़ोसीके आनेके बाद माँने ही बाहर दरवाजेकी कुण्डी खोल दी।पड़ोसी काकीने देखा कि माँ गिरी पड़ी है और ठीकसे बोल नहीं रही है तो मोखासी काकीने काकाको बुलाकर रिक्शा मँगवाया और नजदीकमें ही डॉ० किलेदारका अस्पताल है, उन्हें फोन किया और उसे लेकर गये। वहाँ उन्होंने कहा कि हालत गम्भीर है, रोगीको और बड़े अस्पतालमें लेकर जाना पड़ेगा।

इधर मुझे क्लासमें कुछ अच्छा नहीं लग रहा था, और बार-बार घर जानेकी इच्छा हो रही थी, लेकिन पहला दिन था क्लासका और मैंने काफी रुपयेकी फीस भी भरी थी, इसलिये थोड़ी देर बैठकर मैं करीब १२ बजेके बाद घरके लिये निकल पड़ी। तभी रास्ते में मोखासी काका मिल गये और उन्होंने कहा कि तुम्हारी माँको अस्पतालमें लाया गया है। मैं वहाँ गयी तो मेरी माँको अर्धांगवायुका झटका आया था। उसका मुँह, शरीरके दाहिने बाजूकी शक्ति गयी-सी थी, माँ पूरी तरहसे अचेतन थी।

तभी डॉक्टर बोले कि इनका बी०पी० बहुत बढ़ जानेके
कारण यह अटैक आया है, अभी ज्यादा देर नहीं हुई है।
हमारे पड़ोसियोंकी मददके कारण वह बची। बादमें ९४ दिन आई०सी०यू० में रहनेके बाद वह अच्छी होकर घर आयी। उसके दाहिने बाजू और हाथ-पैरकी शक्ति चली गयी थी, पर वह ठीक हो गयी। अब तो अच्छी तरहसे बोलती है।

'कल्याण' में प्रकाशित नुस्खोंका प्रयोग करनेसे तथा देशी उपचार गोमूत्रकी मालिश आदि करनेसे आज मेरी माँ पूर्ण रूपसे स्वस्थ हो चुकी है। हमें लगता है कि उस विषम दशामें आर्त भावसे भगवान्का नाम लेते रहनेके कारण ही प्रभुने पड़ोसीके रूपमें समयपर आकर मेरी माँकी जान बचायी। इसके साथ ही, जो मैं माँकी सेवा-शुश्रूषामें लापरवाही करती थी, भगवान्ने वैसा न करनेकी मुझे शिक्षा भी दी। भगवान्‌की कृपा कब, कहाँ, किसपर होगी, इसे कोई नहीं जानता। प्रभु अनन्त करुणामय हैं, इसलिये मेरा निश्चय पक्का हो गया है। कि अगर भगवान्‌को सच्चे दिलसे कोई आवाज दे तो उसकी प्रार्थना भगवान् किसी-न-किसी रूपमें आकर अवश्य सुनते हैं।
[ सुश्री विद्याजी देशपाण्डे ]



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'n jaane kis roopamen bhagavaan mil jaayan'

baat 16 janavaree san 2002 ee0kee hai. pichhale 2- 3 din pahale hee ham akulakot svaamee samarth mandirase ham lautakar aaye the. us din subah mere pitaajee ऑphis gaye the aur vahaanse saaitake liye islaamapur jaanevaale the. meree bahan injeeniyaring padha़ rahee thee, doosara varsh thaa. mera posta-grejueshan honeke baad main kampyootar klaasake liye 11 baje jaanevaalee thee. meree maanne khaana banaaneke baad pooja kee aur tabhee use kuchh asvasthata hone lagee. gharamen vah akelee thee. ham sab ja chuke the. main eka-do ghanteke baad laut aanevaalee thee.

maanko bee0pee0 kee samasya thee. usakee vahadavaaiyaan letee thee. us din guruvaar thaa. lagabhag saadha़e gyaarah baje vah apaneko asaamaany mahasoos karane lagee. use kuchh samajhamen naheen a raha thaa. vah gharamen idhara-udhar bechain hokar tahalane lagee tatha joronse 'oM namah shivaaya' ka jap karane lagee aur ekaaek gir pada़ee.

maan jis samay us dayaneey avasthaamen thee, tabhee vah kisee prakaar ghisatatee-ghisatatee daravaajetak aakar hamaare pada़osee gaadagil kaakee, mokhaasee kaaka aadika naam lekar pukaarane lagee. baadamen us pada़oseeke aaneke baad maanne hee baahar daravaajekee kundee khol dee.pada़osee kaakeene dekha ki maan giree pada़ee hai aur theekase bol naheen rahee hai to mokhaasee kaakeene kaakaako bulaakar riksha mangavaaya aur najadeekamen hee daॉ0 kiledaaraka aspataal hai, unhen phon kiya aur use lekar gaye. vahaan unhonne kaha ki haalat gambheer hai, rogeeko aur bada़e aspataalamen lekar jaana pada़egaa.

idhar mujhe klaasamen kuchh achchha naheen lag raha tha, aur baara-baar ghar jaanekee ichchha ho rahee thee, lekin pahala din tha klaasaka aur mainne kaaphee rupayekee phees bhee bharee thee, isaliye thoda़ee der baithakar main kareeb 12 bajeke baad gharake liye nikal pada़ee. tabhee raaste men mokhaasee kaaka mil gaye aur unhonne kaha ki tumhaaree maanko aspataalamen laaya gaya hai. main vahaan gayee to meree maanko ardhaangavaayuka jhataka aaya thaa. usaka munh, shareerake daahine baajookee shakti gayee-see thee, maan pooree tarahase achetan thee.

tabhee daॉktar bole ki inaka bee0pee0 bahut badha़ jaaneke
kaaran yah ataik aaya hai, abhee jyaada der naheen huee hai.
hamaare pada़osiyonkee madadake kaaran vah bachee. baadamen 94 din aaee0see0yoo0 men rahaneke baad vah achchhee hokar ghar aayee. usake daahine baajoo aur haatha-pairakee shakti chalee gayee thee, par vah theek ho gayee. ab to achchhee tarahase bolatee hai.

'kalyaana' men prakaashit nuskhonka prayog karanese tatha deshee upachaar gomootrakee maalish aadi karanese aaj meree maan poorn roopase svasth ho chukee hai. hamen lagata hai ki us visham dashaamen aart bhaavase bhagavaanka naam lete rahaneke kaaran hee prabhune pada़oseeke roopamen samayapar aakar meree maankee jaan bachaayee. isake saath hee, jo main maankee sevaa-shushrooshaamen laaparavaahee karatee thee, bhagavaanne vaisa n karanekee mujhe shiksha bhee dee. bhagavaan‌kee kripa kab, kahaan, kisapar hogee, ise koee naheen jaanataa. prabhu anant karunaamay hain, isaliye mera nishchay pakka ho gaya hai. ki agar bhagavaan‌ko sachche dilase koee aavaaj de to usakee praarthana bhagavaan kisee-na-kisee roopamen aakar avashy sunate hain.
[ sushree vidyaajee deshapaande ]

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