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'कुमति निवार सुमति के संगी'

भगवान् श्रीहनुमान्जी कलियुगके प्रत्यक्ष देवता हैं, जो भक्तोंकी करुण पुकार सुनकर तत्काल समस्या निवारण भी कर देते हैं। जगदम्बा सीताजीके वे अजर-अमर पुत्र हैं, जिनकी पूजा-आराधनामें बाह्य आडम्बरसे अधिक करुण भावसे की गयी आर्त प्रार्थना महत्त्व रखती है। करुणानिधान हनुमान्जी अपनेआराध्यके नाम-स्मरणसे प्रसन्न होते हैं। विन्ध्यपर्वतमालाके छोरपर बसा राजगढ़ (म०प्र०) अपनी प्राकृतिक सुषमासे सबका मन मोह लेता है। नेवज (निर्विन्ध्या) के तटपर बसे इस नगरमें राजपरिवारका बनवाया भगवान् श्रीनाथजीका मन्दिर अपने भव्य स्वरूपमें स्थित है। यहाँ दर्शनार्थियोंकाजमघट लगा रहता है। बाल्यावस्थामें मुझे इस मन्दिरके दर्शनका प्रचुर सौभाग्य मिला है। मैं मन्दिरके विशाल चौकमें बहुधा बैठा करता था।

घरमें प्रारम्भसे ही ईश्वरभक्तिका वातावरण रहा है। प्रातः सायं नित्य ईश्वरपूजन और प्रार्थना होती रही है। फलस्वरूप मुझे भी मंत्र, प्रार्थना आदि कण्ठस्थ हो गये थे। हमारी नानीजी मुझे सदैव हनुमान्जी महाराजकी प्रार्थना और दर्शन करनेकी प्रेरणा देती थीं। वे कहती थीं कि कभी भी डर लगनेपर हनुमान्जीके नामस्मरणमात्रसे ही भय दूर हो जाता है। उन्हींकी प्रेरणासे मुझे हनुमान चालीसा कण्ठस्थ हो गया था।

एक दिन मन्दिरमें श्रीनाथजीके दर्शनके बाद चौकमें बैठकर मैं हनुमान चालीसाका पाठ करने लगा। कुछ दूरीपर मेरी ही आयुके बच्चे झगड़ रहे थे। बाल स्वभावके कारण मैं भी पाठ छोड़कर उनसे जुड़ गया और मुँहसे अपशब्द भी बोलने लगा। हनुमान चालीसाका पाठ भी भूल गया। अचानक मेरी दोनों आँखें चिपककर बन्द हो गयीं। दिखायी न देनेसे बेचैनी होने लगी।हाथसे आँख खोलनेपर भी आँख खुल नहीं रही थी।

विचित्र भयसे ग्रस्त होकर मैं रोने लगा। बड़े भाई साहबने यह हाल देखा तो उन्होंने कहा कि हनुमान चालीसाका पाठ भंग करनेसे ऐसा हुआ है। अब तुम गायत्री मंत्रका जपकर प्रार्थना करो।

शान्त होकर मैं क्षमा माँगने लगा और गायत्री मंत्रका जप करने लगा। धीरे-धीरे मेरी आँखें खुल गयीं। बेचैनी दूर हुई तो श्रीहनुमानजीसे क्षमा माँगकर पुनः एकचित्त होकर पाठ किया। घरपर घटनाका वर्णन सुनकर सब लोग आश्चर्यचकित हो गये।

मुझमें पाठ करते हुए कुमतिका प्रवेश हुआ और तत्काल ही दण्ड भी मिला, लेकिन हनुमान्जीकी प्रत्यक्ष कृपालाभका सुअवसर भी प्राप्त हुआ और सदैवके लिये एक पाठ भी सीखनेको मिला कि देवपूजनमें कभी व्यवधान नहीं आना चाहिये।

सुमति प्रदान करनेवाले और कुमतिका निवारण करनेवाले हनुमान्जीकी कृपा मुझे सदैव प्राप्त होती रही है। श्रीहनुमानजी महाराजकी जय!

[ श्रीश्रीकृष्णाजी शर्मा]]



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'kumati nivaar sumati ke sangee'

bhagavaan shreehanumaanjee kaliyugake pratyaksh devata hain, jo bhaktonkee karun pukaar sunakar tatkaal samasya nivaaran bhee kar dete hain. jagadamba seetaajeeke ve ajara-amar putr hain, jinakee poojaa-aaraadhanaamen baahy aadambarase adhik karun bhaavase kee gayee aart praarthana mahattv rakhatee hai. karunaanidhaan hanumaanjee apaneaaraadhyake naama-smaranase prasann hote hain. vindhyaparvatamaalaake chhorapar basa raajagadha़ (ma0pra0) apanee praakritik sushamaase sabaka man moh leta hai. nevaj (nirvindhyaa) ke tatapar base is nagaramen raajaparivaaraka banavaaya bhagavaan shreenaathajeeka mandir apane bhavy svaroopamen sthit hai. yahaan darshanaarthiyonkaajamaghat laga rahata hai. baalyaavasthaamen mujhe is mandirake darshanaka prachur saubhaagy mila hai. main mandirake vishaal chaukamen bahudha baitha karata thaa.

gharamen praarambhase hee eeshvarabhaktika vaataavaran raha hai. praatah saayan nity eeshvarapoojan aur praarthana hotee rahee hai. phalasvaroop mujhe bhee mantr, praarthana aadi kanthasth ho gaye the. hamaaree naaneejee mujhe sadaiv hanumaanjee mahaaraajakee praarthana aur darshan karanekee prerana detee theen. ve kahatee theen ki kabhee bhee dar laganepar hanumaanjeeke naamasmaranamaatrase hee bhay door ho jaata hai. unheenkee preranaase mujhe hanumaan chaaleesa kanthasth ho gaya thaa.

ek din mandiramen shreenaathajeeke darshanake baad chaukamen baithakar main hanumaan chaaleesaaka paath karane lagaa. kuchh dooreepar meree hee aayuke bachche jhagada़ rahe the. baal svabhaavake kaaran main bhee paath chhoda़kar unase juda़ gaya aur munhase apashabd bhee bolane lagaa. hanumaan chaaleesaaka paath bhee bhool gayaa. achaanak meree donon aankhen chipakakar band ho gayeen. dikhaayee n denese bechainee hone lagee.haathase aankh kholanepar bhee aankh khul naheen rahee thee.

vichitr bhayase grast hokar main rone lagaa. bada़e bhaaee saahabane yah haal dekha to unhonne kaha ki hanumaan chaaleesaaka paath bhang karanese aisa hua hai. ab tum gaayatree mantraka japakar praarthana karo.

shaant hokar main kshama maangane laga aur gaayatree mantraka jap karane lagaa. dheere-dheere meree aankhen khul gayeen. bechainee door huee to shreehanumaanajeese kshama maangakar punah ekachitt hokar paath kiyaa. gharapar ghatanaaka varnan sunakar sab log aashcharyachakit ho gaye.

mujhamen paath karate hue kumatika pravesh hua aur tatkaal hee dand bhee mila, lekin hanumaanjeekee pratyaksh kripaalaabhaka suavasar bhee praapt hua aur sadaivake liye ek paath bhee seekhaneko mila ki devapoojanamen kabhee vyavadhaan naheen aana chaahiye.

sumati pradaan karanevaale aur kumatika nivaaran karanevaale hanumaanjeekee kripa mujhe sadaiv praapt hotee rahee hai. shreehanumaanajee mahaaraajakee jaya!

[ shreeshreekrishnaajee sharmaa]]

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