⮪ All भक्त चरित्र

महर्षि भृगु की मार्मिक कथा
महर्षि भृगु की अधबुत कहानी - Full Story of महर्षि भृगु (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [महर्षि भृगु]- भक्तमाल


भृगुजी ब्रह्माके मानसपुत्रोंमेंसे एक हैं। वे एक प्रजापति भी हैं, चाक्षुष मन्वन्तरमें इनकी सप्तर्षियों में गणना होती है। इनकी तपस्याका अमित प्रभाव है। दक्षकी कन्या ख्यातिको इन्होंने पत्नीरूपमें स्वीकार किया था; उनसे धाता, विधाता नामके दो पुत्र और श्री नामकी एक कन्या हुई । इन्हीं श्रीका पाणिग्रहण भगवान् नारायणने किया था। इनके और बहुत से पुत्र हैं, जो विभिन्न मन्वन्तरोंमें सप्तर्षि हुआ करते हैं। वाराहकल्पके दसवें द्वापरमें महादेव ही भृगुके रूपमें अवतीर्ण होते हैं। कहीं-कहीं स्वायम्भुव मन्वन्तरके सप्तर्षियोंमें भी भृगुकीगणना है। सुप्रसिद्ध महर्षि च्यवन इन्हींके पुत्र हैं। इन्होंने अनेकों यज्ञ किये कराये हैं और अपनी तपस्याके प्रभावसे अनेकोंको सन्तान प्रदान की है। ये श्रावण और भाद्रपद दो महीनों में भगवान् सूर्यके रथपर निवास करते हैं। प्रायः सभी पुराणोंमें महर्षि भृगुकी चर्चा आयी है। उसका अशेषत: वर्णन तो किया ही नहीं जा सकता। हाँ, उनके जीवनकी एक बहुत प्रसिद्ध घटना, जिसके कारण सभी भक्त उन्हें याद करते हैं, लिख दी जाती है। एक बार सरस्वती नदीके तटपर ऋषियोंकी बहुत बड़ी परिषद् बैठी थी। उसमें यह विवाद छिड़ गया किब्रह्मा, विष्णु और महेश- इन तीनोंमें कौन बड़ा है।। इसका जब कोई सन्तोषजनक समाधान नहीं हुआ, तब इस बातका पता लगानेके लिये सर्वसम्मति से महर्षि भृगु ही चुने गये। ये पहले ब्रह्माकी सभाएँ गये और यहाँ अपने पिताको न तो नमस्कार किया और न उनकी स्तुति की। अपने पुत्रकी इस अवहेलनाको देखकर ब्रह्माजीके मनमें बड़ा क्रोध आया परन्तु उन्होंने अपना पुत्र समझकर इन्हें क्षमा कर दिया, अपने क्रोधको दबा लिया। इसके बाद ये कैलासपर्वतपर अपने बड़े भाई रुद्रदेवके पास पहुँचे। अपने छोटे भाई भृगुको आते देखकर आलिङ्गन करनेके लिये वे बड़े प्रेमसे आगे बढ़े, परन्तु भृगुने यह कहकर कि 'तुम उन्मार्गगामी हो'–उनसे मिलना अस्वीकार कर दिया। उन्हें बड़ा क्रोध आया और वे त्रिशूल उठाकर इन्हें मारनेके लिये दौड़ पड़े। अन्ततः पार्वतीने उनके चरण पकड़कर प्रार्थना की और क्रोध शान्त किया । अव विष्णु भगवान्‌की बारी आयी। ये बेखटके वैकुण्ठमें पहुँच गये। वहाँ ब्राह्मण-भक्तोंके लिये कोई रोक-टोक तो है नहीं। ये पहुँच गये भगवान्‌के शयनागारमें। उस समय भगवान् विष्णु सो रहेथे और भगवती लक्ष्मी उन्हें पंखा झल रही थीं, उनकी सेवामें लगी हुई थीं। इन्होंने बेधड़क वहाँ पहुँचकर उनके वक्षःस्थलपर एक लात मारी। तुरंत भगवान् विष्णु अपनी शय्यापरसे उठ गये और इनके चरणोंपर अपना सिर रखकर नमस्कार किया और बोले-'भगवन् ! आइये आइये, विराजिये। आपके आनेका समाचार न जाननेके कारण ही मैं आपके स्वागतसे वञ्चित रहा। क्षमा कीजिये। क्षमा कीजिये कहाँ तो आपके कोमल चरण और कहाँ यह मेरी वज्रकर्कश छाती आपको बड़ा कष्ट हुआ।' यह 1 कहकर उनके चरण अपने हाथों दबाने लगे। उन्होंने कहा 'ब्राह्मणदेवता! आपने मुझपर बड़ी कृपा की। आज मैं कृतार्थ हो गया। अब यह आपके चरणोंकी धूलि सर्वदा मेरे हृदयपर ही रहेगी' कुछ समय बाद महर्षि भृगु वहाँसे लौटकर ऋषियोंकी मण्डलीमें आये और अपना अनुभव सुनाया। इनकी बात सुनकर ऋषियोंने एक स्वरसे यह निर्णय किया कि जो सात्त्विकताके प्रेमी हैं. उन्हें एकमात्र भगवान् विष्णुका ही भजन करना चाहिये। महर्षि भृगुका साक्षात् भगवान्से सम्बन्ध है, ये परम भक्त हैं। इनकी स्मृति हमें भगवान्‌की स्मृति प्रदान करती है।



You may also like these:

Bhakt Charitra डाकू भगत


maharshi bhrigu ki marmik katha
maharshi bhrigu ki adhbut kahani - Full Story of maharshi bhrigu (hindi)

[Bhakt Charitra - Bhakt Katha/Kahani - Full Story] [maharshi bhrigu]- Bhaktmaal


bhrigujee brahmaake maanasaputronmense ek hain. ve ek prajaapati bhee hain, chaakshush manvantaramen inakee saptarshiyon men ganana hotee hai. inakee tapasyaaka amit prabhaav hai. dakshakee kanya khyaatiko inhonne patneeroopamen sveekaar kiya thaa; unase dhaata, vidhaata naamake do putr aur shree naamakee ek kanya huee . inheen shreeka paanigrahan bhagavaan naaraayanane kiya thaa. inake aur bahut se putr hain, jo vibhinn manvantaronmen saptarshi hua karate hain. vaaraahakalpake dasaven dvaaparamen mahaadev hee bhriguke roopamen avateern hote hain. kaheen-kaheen svaayambhuv manvantarake saptarshiyonmen bhee bhrigukeeganana hai. suprasiddh maharshi chyavan inheenke putr hain. inhonne anekon yajn kiye karaaye hain aur apanee tapasyaake prabhaavase anekonko santaan pradaan kee hai. ye shraavan aur bhaadrapad do maheenon men bhagavaan sooryake rathapar nivaas karate hain. praayah sabhee puraanonmen maharshi bhrigukee charcha aayee hai. usaka asheshata: varnan to kiya hee naheen ja sakataa. haan, unake jeevanakee ek bahut prasiddh ghatana, jisake kaaran sabhee bhakt unhen yaad karate hain, likh dee jaatee hai. ek baar sarasvatee nadeeke tatapar rishiyonkee bahut bada़ee parishad baithee thee. usamen yah vivaad chhida़ gaya kibrahma, vishnu aur mahesha- in teenonmen kaun bada़a hai.. isaka jab koee santoshajanak samaadhaan naheen hua, tab is baataka pata lagaaneke liye sarvasammati se maharshi bhrigu hee chune gaye. ye pahale brahmaakee sabhaaen gaye aur yahaan apane pitaako n to namaskaar kiya aur n unakee stuti kee. apane putrakee is avahelanaako dekhakar brahmaajeeke manamen bada़a krodh aaya parantu unhonne apana putr samajhakar inhen kshama kar diya, apane krodhako daba liyaa. isake baad ye kailaasaparvatapar apane bada़e bhaaee rudradevake paas pahunche. apane chhote bhaaee bhriguko aate dekhakar aalingan karaneke liye ve bada़e premase aage badha़e, parantu bhrigune yah kahakar ki 'tum unmaargagaamee ho'–unase milana asveekaar kar diyaa. unhen bada़a krodh aaya aur ve trishool uthaakar inhen maaraneke liye dauda़ pada़e. antatah paarvateene unake charan pakada़kar praarthana kee aur krodh shaant kiya . av vishnu bhagavaan‌kee baaree aayee. ye bekhatake vaikunthamen pahunch gaye. vahaan braahmana-bhaktonke liye koee roka-tok to hai naheen. ye pahunch gaye bhagavaan‌ke shayanaagaaramen. us samay bhagavaan vishnu so rahethe aur bhagavatee lakshmee unhen pankha jhal rahee theen, unakee sevaamen lagee huee theen. inhonne bedhada़k vahaan pahunchakar unake vakshahsthalapar ek laat maaree. turant bhagavaan vishnu apanee shayyaaparase uth gaye aur inake charanonpar apana sir rakhakar namaskaar kiya aur bole-'bhagavan ! aaiye aaiye, viraajiye. aapake aaneka samaachaar n jaananeke kaaran hee main aapake svaagatase vanchit rahaa. kshama keejiye. kshama keejiye kahaan to aapake komal charan aur kahaan yah meree vajrakarkash chhaatee aapako bada़a kasht huaa.' yah 1 kahakar unake charan apane haathon dabaane lage. unhonne kaha 'braahmanadevataa! aapane mujhapar bada़ee kripa kee. aaj main kritaarth ho gayaa. ab yah aapake charanonkee dhooli sarvada mere hridayapar hee rahegee' kuchh samay baad maharshi bhrigu vahaanse lautakar rishiyonkee mandaleemen aaye aur apana anubhav sunaayaa. inakee baat sunakar rishiyonne ek svarase yah nirnay kiya ki jo saattvikataake premee hain. unhen ekamaatr bhagavaan vishnuka hee bhajan karana chaahiye. maharshi bhriguka saakshaat bhagavaanse sambandh hai, ye param bhakt hain. inakee smriti hamen bhagavaan‌kee smriti pradaan karatee hai.

569 Views

A Beautiful Bhagwad Gita Reader
READ NOW FREE
9 Must Have Qualities Of A Good Vaishnav DevoteeWhy Should One Do Bhakti? 80 Facts About Bhakti [Must Read]7 Amazing Ways In Which Devotees Easily Overcome PainHow To Cultivate Gratitude For God And Feel Blessed In Life?



Bhajan Lyrics View All

अपनी वाणी में अमृत घोल
अपनी वाणी में अमृत घोल
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
वृन्दावन धाम अपार, जपे जा राधे राधे,
राधे सब वेदन को सार, जपे जा राधे राधे।
श्याम बंसी ना बुल्लां उत्ते रख अड़ेया
तेरी बंसी पवाडे पाए लख अड़ेया ।
राधा कट दी है गलिआं दे मोड़ आज मेरे
श्याम ने आना घनश्याम ने आना
करदो करदो बेडा पार, राधे अलबेली सरकार।
राधे अलबेली सरकार, राधे अलबेली सरकार॥
सांवरियो है सेठ, म्हारी राधा जी सेठानी
यह तो जाने दुनिया सारी है
किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाए।
जुबा पे राधा राधा राधा नाम हो जाए॥
रंग डालो ना बीच बाजार
श्याम मैं तो मर जाऊंगी
यशोमती मैया से बोले नंदलाला,
राधा क्यूँ गोरी, मैं क्यूँ काला
कोई कहे गोविंदा, कोई गोपाला।
मैं तो कहुँ सांवरिया बाँसुरिया वाला॥
राधे तु कितनी प्यारी है ॥
तेरे संग में बांके बिहारी कृष्ण
ये सारे खेल तुम्हारे है
जग कहता खेल नसीबों का
राधा ढूंढ रही किसी ने मेरा श्याम देखा
श्याम देखा घनश्याम देखा
ਮੇਰੇ ਕਰਮਾਂ ਵੱਲ ਨਾ ਵੇਖਿਓ ਜੀ,
ਕਰਮਾਂ ਤੋਂ ਸ਼ਾਰਮਾਈ ਹੋਈ ਆਂ
रंगीलो राधावल्लभ लाल, जै जै जै श्री
विहरत संग लाडली बाल, जै जै जै श्री
कोई पकड़ के मेरा हाथ रे,
मोहे वृन्दावन पहुंच देओ ।
सत्यम शिवम सुन्दरम
सत्य ही शिव है, शिव ही सुन्दर है
दुनिया का बन कर देख लिया, श्यामा का बन
राधा नाम में कितनी शक्ति है, इस राह पर
मेरी रसना से राधा राधा नाम निकले,
हर घडी हर पल, हर घडी हर पल।
बांके बिहारी की देख छटा,
मेरो मन है गयो लटा पटा।
तेरे बगैर सांवरिया जिया नही जाये
तुम आके बांह पकड लो तो कोई बात बने‌॥
हर पल तेरे साथ मैं रहता हूँ,
डरने की क्या बात? जब मैं बैठा हूँ
मीठे रस से भरी रे, राधा रानी लागे,
मने कारो कारो जमुनाजी रो पानी लागे
इक तारा वाजदा जी हर दम गोविन्द गोविन्द
जग ताने देंदा ए, तै मैनु कोई फरक नहीं
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे द्वार,
यहाँ से गर जो हरा कहाँ जाऊँगा सरकार
मुझे रास आ गया है,
तेरे दर पे सर झुकाना
मैं तो तुम संग होरी खेलूंगी, मैं तो तुम
वा वा रे रासिया, वा वा रे छैला
हम प्रेम नगर के बंजारिन है
जप ताप और साधन क्या जाने
राधे राधे बोल, श्याम भागे चले आयंगे।
एक बार आ गए तो कबू नहीं जायेंगे ॥

New Bhajan Lyrics View All

सुन सांवरे रे, तेरे ही भरोसे मेरी नाव
थक से गए हैं अब तो श्याम मेरे पाँव रे,
बूढ़े भोले बाबा उमा मेरी छोटी,
उमा मेरी छोटी, उमा मेरी छोटी,
रघुवर झूल रहे अपनी उमंग में,
सिया जी के संग में ना
काम कोई भी कर नहीं पाया, घूम लिया संसार
आखिर मेरा काम हुआ हैं नाकोड़ा दरबार
श्याम धणी तेरे दर्शन पाकर,
होते भक्त निहाल है,