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भक्त दासी जीवण की मार्मिक कथा
भक्त दासी जीवण की अधबुत कहानी - Full Story of भक्त दासी जीवण (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [भक्त दासी जीवण]- भक्तमाल


काठियावाड़ में बहुत ही प्रेमी भक्त हो गये हैं और प्रभु प्रेमकी मस्तीमें उन्होंने भजन बनाये हैं। पर उनमें सबसे प्रथम स्थान दासी जीवणका है। इनकी वाणी जंगलकी झोंपड़ी-झोंपड़ीमें गायी जाती है-'दासी जीवण' नामसे ये स्त्री- भक्त मालूम होते हैं, पर वस्तुतः ऐसी बात नहीं है। इनका नाम संत जीवनदास था। ये गोण्डल शहरके पास घोघाबदर गाँवके चमार थे।

एक दिन भजन मण्डलीमें गुरुने उनसे पूछा कि 'तुम पुरुष होकर दासी जीवण कहलाते हो, इसका क्या रहस्य है?' सुनते हैं कि इसके बाद भजनकी खूब धुन लगी और सब एकतार हो गये। तब संत जीवण सोलह वर्षकी गोपीके रूपमें सबको दिखायी दिये। गुरुने शाबाशी दी, तदनन्तर वे फिर अपने रूपमें आ गये।

एक बार साधु-सेवाके लिये उन्होंने हदसे बाहर खर्च कर डाला, इसलिये चमड़ेके इजारेकी रकम वे दरबारको चुका नहीं सके। सबेरे जेलमें जानेकी तैयारी हो गयी। उस दिन रातको नरसी मेहताजीके समान उन्होंने भगवान्से प्रार्थना की, गाया- 'मेरी टूटी गाड़ी और डूबती नावको तारनेवाले तुम एक ही हो! मैंने तो तुम्हारा आश्रय लिया है और लाज तुम्हारी जानेवाली है।' सुनते हैं कि व्यापारीके रूपमें भगवान् दरबारमें जाकर जितना देना था, उतना स्वयं भर आये।

दासी जीवण महान् सिद्ध भक्त थे। बड़े उपकारी और चमत्कारिक ढंगसे उन्होंने जीवन बिताया। सं0 1887 में आपका देहान्त हुआ।



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[Bhakt Charitra - Bhakt Katha/Kahani - Full Story] [bhakt daasee jeevana]- Bhaktmaal


kaathiyaavaada़ men bahut hee premee bhakt ho gaye hain aur prabhu premakee masteemen unhonne bhajan banaaye hain. par unamen sabase pratham sthaan daasee jeevanaka hai. inakee vaanee jangalakee jhonpada़ee-jhonpada़eemen gaayee jaatee hai-'daasee jeevana' naamase ye stree- bhakt maaloom hote hain, par vastutah aisee baat naheen hai. inaka naam sant jeevanadaas thaa. ye gondal shaharake paas ghoghaabadar gaanvake chamaar the.

ek din bhajan mandaleemen gurune unase poochha ki 'tum purush hokar daasee jeevan kahalaate ho, isaka kya rahasy hai?' sunate hain ki isake baad bhajanakee khoob dhun lagee aur sab ekataar ho gaye. tab sant jeevan solah varshakee gopeeke roopamen sabako dikhaayee diye. gurune shaabaashee dee, tadanantar ve phir apane roopamen a gaye.

ek baar saadhu-sevaake liye unhonne hadase baahar kharch kar daala, isaliye chamada़eke ijaarekee rakam ve darabaarako chuka naheen sake. sabere jelamen jaanekee taiyaaree ho gayee. us din raatako narasee mehataajeeke samaan unhonne bhagavaanse praarthana kee, gaayaa- 'meree tootee gaada़ee aur doobatee naavako taaranevaale tum ek hee ho! mainne to tumhaara aashray liya hai aur laaj tumhaaree jaanevaalee hai.' sunate hain ki vyaapaareeke roopamen bhagavaan darabaaramen jaakar jitana dena tha, utana svayan bhar aaye.

daasee jeevan mahaan siddh bhakt the. bada़e upakaaree aur chamatkaarik dhangase unhonne jeevan bitaayaa. san0 1887 men aapaka dehaant huaa.

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