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Bhagavad Gita Chapter 1 Verse 29

भगवद् गीता अध्याय 1 श्लोक 29

सीदन्ति मम गात्राणि मुखं च परिशुष्यति।
वेपथुश्च शरीरे मे रोमहर्षश्च जायते।।1.29।।

हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद

।।1.28 1.29।।अर्जुन ने कहाहे कृष्ण युद्ध की इच्छा रखकर उपस्थित हुए इन स्वजनों को देखकर मेरे अंग शिथिल हुये जाते हैं मुख भी सूख रहा है और मेरे शरीर में कम्प तथा रोमांच हो रहा है।

Brahma Vaishnava Sampradaya - Commentary

Madhvacarya has no commentary so we present Baladeva Vidyabhusanas. Vepathuh means trembling, romaharsah means horripilation, the Gandiva bow slipping from his hand shows impatience and paridahyate which is burning of the skin is a burning of the heart also.