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रसना में अगर तेरा नाम रहे
जग में फिर नाम रहे ना रहे
राम सियाराम सियाराम राम राम राम
राम सियाराम सियाराम सियाराम
सवारे रसिया से हो गई अपनी यारी,
हो गई अपनी यारी, लागे बड़ी प्यारी
राम का सुमिरन किया करो,
प्रभु के सहारे जिया करो
असां कृष्ण कृष्ण कहना ए,
जब तक रहना ए ।
भजो रे मन, राम नाम सुखदाई।
राम नाम के दो अक्षर में.
बोल बजरंग बलि की जय,
बोल पवन पुत्र हनुमान की जय
कर दो श्रमा किशोरी अपराध मेरे सारे,
बड़ी आस लेके अई दरबार में तुम्हारे,
ना मैं धन चाहूँ, ना रतन चाहूँ
ना मैं धन चाहूँ, ना रतन चाहूँ
तू राम भजन कर प्राणी,
तेरी दो दिन की जिन्दगानी॥
जिनके मन में बसे श्री राम जी
उनकी रक्षा करें हनुमान जी।
क्षमा करो तुम मेरे प्रभुजी,
अब तक के सारे अपराध
कभी कभी भगवान को भी
भक्तों से काम पड़े
ऐसें मेरे मन में विराजिये
ऐसें मेरे मन में विराजिये
जिनके मन में बसे श्री राम जी,
उनकी रक्षा करें हनुमान जी ।
भरत भाई, कपि से उरिन हम नाहीं
कपि से उरिन हम नाहीं
हमारे साथ श्री रघुनाथ तो किस बात की
शरण में रख दिया जब माथ तो किस बात की
जिसकी लागी रे लगन भगवान में,
उसका दिया रे जलेगा तूफ़ान में
उठ नाम सिमर, मत सोए रहो,
मन अंत समय पछतायेगा
भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी।
भोले दी बरात चली,
गज वाज के,
प्रभु जी तुम चंदन हम पानी,
जानकि अंग अंग बॉस समानी,
काम कोई भी कर नहीं पाया, घूम लिया संसार
आखिर मेरा काम हुवा हैं नाकोड़ा दरबार
आरती श्री रामायण जी की
कीरत कलित ललित सिय पिय की।
कृष्ण तेरे नाम पे कुर्बान हो रही,
सूरत को तेरी देख परशान हो रही,
तेरी रेहमतो का दरिया सरेआम चल रहा है,
मुझे भीख मिल रही है तो काम चल रहा है,
मेरे रश्के कमर तूने पहली नज़र,
जब नज़र से मिलाई तो मजा आ गया,
क्या भूल गये वो दिन बेठे रहते थे अकले,
ना तो तेरे भगत थे इतने ना लगते थे मेले,
जिसने लिखी अपने हाथो से
दुनिया की तकदीर
पवन मंद सुगंध शीतल,
हेम मन्दिर शोभितम्।
जय गिरिजा पति दीन दयाला।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
कैलाश के निवासी नमो बार बार हूँ,
नमो बार बार हूँ
मेरी बांह पकड़ लो एक वार,
हरि एक वार प्रभु एक वार ॥
तुम कहाँ छुपे भगवान् करो मत देरी,
दुःख हरो द्वारिका नाथ, शरण मैं तेरी ।
आज मिलके मंगल गयो जी ,
आके गणेश मनाओ जी,
राधिके ले चल परली पार,
जहा विराजे नटवर नागर,नटखट नन्द कुमार
भोले बाबा ने ऐसा वजाया डमरू-॥,
सारा कैलाश परबत मग्न हो गया स ॥
हमे तो लूट लिया घनश्याम मुरलीवाले नी,
ब्रिज के गवाले ने काली कमरी वाले ने,
संसार के बंधन आज श्याम में तोडना चाहती
तेरे नाम के संग अपना नाम मैं जोड़ना
मेरे बजरंग बलि तूने रावण की,
जब लंका जलाई मज़ा आ गया,
पद्मासन मे ध्यान लगाए मौन है
लाल लंगोटे वाला बाबा कौन है
संवारे घनश्याम तुम तो
प्रेम का अवतार हो
माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रोंदे
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रोंदूगी तोहे ।
कृष्णा राधा है राधा है कृष्णा
भज प्यारे तू राधे कृष्णा
मेरो मॅन लग्यॉ बरसाने मे जहा विराजे
मॅन हटो दुनियादारी से, मॅन हटो
रखियो लाज हमारी, रखियो लाज हमारी,
रखियो लाज हमारी, किशोरी राधे,
हरी का भजन करूँ हरी को नमन करूँ
हरी को पुकारूँ सुबह शाम
नाम है तेरा तरण हरा कब तेरा दर्शन होगा
जिनकी प्रतिमा इतनी सुंदर वो कितना
जोगी रे क्या जादू है तेरे प्यार मे,
हो जाए तेरा जो भी आए तेरे दरबार मे,
पुरब से जब सुरज निकले,
सिंदूरी घन छाये
एक आँख में सूरज साधा एक आँख में
एक आँख में सूरज साधा एक आँख में
मैं नाकोड़ाजी जाऊंगा,
मैं भैरूजी को अपने दिल में बसाऊंगा,
ओह दिसदा जी मेरे बाबे दा दुआरा,
बाबे दा दुआरा पौनाहारी दा दुआरा,
बनवारी रे, जीने का सहारा तेरा नाम रे
मुझे दुनिया वालों से क्या काम रे
मत कर तू अभिमान रे बंदे, जूठी तेरी शान
मत कर तू अभिमान ॥
राती सुपने च , दिते सी दीदार माता ने...
चलो चलिए बुलाया , दरबार माता ने ॥
વિશ્વંભરી અખિલ વિશ્વતણી જનેતા,
દુર્બુદ્ધિને દુર કરી સદ્બુદ્ધિ આ
चले जायेंगे हम बिहारी जी,सुनलो अरज
भूल न जाना फिर भी भुलाना इतनी अर्ज
जब याद तुम्हारी आती है मेरा जी भर भर
मैं पल पल तुम्हे भुलाती हु तुम आते हो
हर साँस में हो सुमिरन तेरा,
यूँ बीत जाये जीवन मेरा
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