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Ram Charit Manas - Uttar Kand Part 65

राम चरित मानस - उत्तर काण्ड भाग 65

राम चरित मानस - हिन्दी

चौपाई
राम कथा गिरिजा मैं बरनी। कलि मल समनि मनोमल हरनी।।
संसृति रोग सजीवन मूरी। राम कथा गावहिं श्रुति सूरी।।
एहि महँ रुचिर सप्त सोपाना। रघुपति भगति केर पंथाना।।
अति हरि कृपा जाहि पर होई। पाउँ देइ एहिं मारग सोई।।
मन कामना सिद्धि नर पावा। जे यह कथा कपट तजि गावा।।
कहहिं सुनहिं अनुमोदन करहीं। ते गोपद इव भवनिधि तरहीं।।
सुनि सब कथा हृदयँ अति भाई। गिरिजा बोली गिरा सुहाई।।
नाथ कृपाँ मम गत संदेहा। राम चरन उपजेउ नव नेहा।।

चौपाई
यह सुभ संभु उमा संबादा। सुख संपादन समन बिषादा।।
भव भंजन गंजन संदेहा। जन रंजन सज्जन प्रिय एहा।।
राम उपासक जे जग माहीं। एहि सम प्रिय तिन्ह के कछु नाहीं।।
रघुपति कृपाँ जथामति गावा। मैं यह पावन चरित सुहावा।।
एहिं कलिकाल न साधन दूजा। जोग जग्य जप तप ब्रत पूजा।।
रामहि सुमिरिअ गाइअ रामहि। संतत सुनिअ राम गुन ग्रामहि।।
जासु पतित पावन बड़ बाना। गावहिं कबि श्रुति संत पुराना।।
ताहि भजहि मन तजि कुटिलाई। राम भजें गति केहिं नहिं पाई।।

छंद
पाई न केहिं गति पतित पावन राम भजि सुनु सठ मना।
गनिका अजामिल ब्याध गीध गजादि खल तारे घना।।
आभीर जमन किरात खस स्वपचादि अति अघरूप जे।
कहि नाम बारक तेपि पावन होहिं राम नमामि ते।।1।।
रघुबंस भूषन चरित यह नर कहहिं सुनहिं जे गावहीं।
कलि मल मनोमल धोइ बिनु श्रम राम धाम सिधावहीं।।
सत पंच चौपाईं मनोहर जानि जो नर उर धरै।
दारुन अबिद्या पंच जनित बिकार श्रीरघुबर हरै।।2।।
सुंदर सुजान कृपा निधान अनाथ पर कर प्रीति जो।
सो एक राम अकाम हित निर्बानप्रद सम आन को।।
जाकी कृपा लवलेस ते मतिमंद तुलसीदासहूँ।
पायो परम बिश्रामु राम समान प्रभु नाहीं कहूँ।।3।।

दोहा/सोरठा
मो सम दीन न दीन हित तुम्ह समान रघुबीर।
अस बिचारि रघुबंस मनि हरहु बिषम भव भीर।।130(क)।।
कामिहि नारि पिआरि जिमि लोभहि प्रिय जिमि दाम।
तिमि रघुनाथ निरंतर प्रिय लागहु मोहि राम।।130(ख)।।

श्लोक
यत्पूर्वं प्रभुणा कृतं सुकविना श्रीशम्भुना दुर्गमं 
श्रॆमद्रामपदाब्जभक्तिमनिशम प्राप्त्यै तू रामायणं।
मत्वा तद्रघुनाथनामनिरतम स्वान्तस्तम:शान्तये
भाषाबद्ध्मिदम चकार तुलसीदासस्तथा मानसं।।1।।
पुण्यं पापहरं सदा शिवकरं विज्ञानाभाक्तिप्रदम
मायामोहमलापहं सुविमलं प्रेमाम्बुपूरं शुभम।
श्रॆमद्रामचरितमानसमिदम भक्त्यावगाहन्ति ये
ते सन्सारपतनगघोरकिरनैर्दह्यन्ति नो मानवाः।।2।।

Ram Charit Manas - English

चौपाई
rāma kathā girijā maiṃ baranī. kali mala samani manōmala haranī..
saṃsṛti rōga sajīvana mūrī. rāma kathā gāvahiṃ śruti sūrī..
ēhi mahaom rucira sapta sōpānā. raghupati bhagati kēra paṃthānā..
ati hari kṛpā jāhi para hōī. pāuom dēi ēhiṃ māraga sōī..
mana kāmanā siddhi nara pāvā. jē yaha kathā kapaṭa taji gāvā..
kahahiṃ sunahiṃ anumōdana karahīṃ. tē gōpada iva bhavanidhi tarahīṃ..
suni saba kathā hṛdayaom ati bhāī. girijā bōlī girā suhāī..
nātha kṛpāom mama gata saṃdēhā. rāma carana upajēu nava nēhā..

चौपाई
yaha subha saṃbhu umā saṃbādā. sukha saṃpādana samana biṣādā..
bhava bhaṃjana gaṃjana saṃdēhā. jana raṃjana sajjana priya ēhā..
rāma upāsaka jē jaga māhīṃ. ēhi sama priya tinha kē kachu nāhīṃ..
raghupati kṛpāom jathāmati gāvā. maiṃ yaha pāvana carita suhāvā..
ēhiṃ kalikāla na sādhana dūjā. jōga jagya japa tapa brata pūjā..
rāmahi sumiria gāia rāmahi. saṃtata sunia rāma guna grāmahi..
jāsu patita pāvana baḍa bānā. gāvahiṃ kabi śruti saṃta purānā..
tāhi bhajahi mana taji kuṭilāī. rāma bhajēṃ gati kēhiṃ nahiṃ pāī..

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