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Raghunathgarh ( 30 June 2014 ) | Panch Ved Mahabharat | Shri Rajendra Das Ji Maharaj

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Raghunathgarh ( 30 June 2014 ) | Panch Ved Mahabharat | Shri Rajendra Das Ji Maharaj
Raghunathgarh ( 30 June 2014 ) | Panch Ved Mahabharat | Shri Rajendra Das Ji Maharaj
SHRI RAJENDRA DAS JI MAHARAJ BHAKTAMAL KATHA LIVE (GUWAHATI) ON DISHA DAY 06
Shrimad Bhagwat Katha by Shri Rajendra Das Ji Maharaj (Muzaffarpur) Day 01
SANSKAR LIVE - SHRI PUNDARIK GOSWAMIJI MAHARAJ - SHRIMAD BHAGAVAT KATHA - JATIPURA (MATHURA) - DAY 3
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Nandgaon, Sirohi (29 October 2014) | Gargsahinta Katha | Shri Rajendra Das Ji Maharaj
Nandgaon, Sirohi (1 November 2014) | Gargsahinta Katha | Shri Rajendra Das Ji Maharaj

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सावरे से मिलने का सत्संग ही बहाना है ।
सारे दुःख दूर हुए, दिल बना दीवाना है ।
हर साँस में हो सुमिरन तेरा,
यूँ बीत जाये जीवन मेरा
मोहे आन मिलो श्याम, बहुत दिन बीत गए।
बहुत दिन बीत गए, बहुत युग बीत गए ॥
रंग डालो ना बीच बाजार
श्याम मैं तो मर जाऊंगी
सांवरे से मिलने का, सत्संग ही बहाना है,
चलो सत्संग में चलें, हमें हरी गुण गाना
अच्युतम केशवं राम नारायणं,
कृष्ण दमोधराम वासुदेवं हरिं,
मैं मिलन की प्यासी धारा
तुम रस के सागर रसिया हो
बृज के नन्द लाला राधा के सांवरिया
सभी दुख: दूर हुए जब तेरा नाम लिया
लाडली अद्बुत नज़ारा तेरे बरसाने में
लाडली अब मन हमारा तेरे बरसाने में है।
मीठी मीठी मेरे सांवरे की मुरली बाजे,
होकर श्याम की दीवानी राधा रानी नाचे
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे दवार,
यहाँ से जो मैं हारा तो कहा जाऊंगा मैं
श्री राधा हमारी गोरी गोरी, के नवल
यो तो कालो नहीं है मतवारो, जगत उज्य
ऐसी होली तोहे खिलाऊँ
दूध छटी को याद दिलाऊँ
तेरे बगैर सांवरिया जिया नही जाये
तुम आके बांह पकड लो तो कोई बात बने‌॥
यशोमती मैया से बोले नंदलाला,
राधा क्यूँ गोरी, मैं क्यूँ काला
सारी दुनियां है दीवानी, राधा रानी आप
कौन है, जिस पर नहीं है, मेहरबानी आप की
तमन्ना यही है के उड के बरसाने आयुं मैं
आके बरसाने में तेरे दिल की हसरतो को
राधे राधे बोल, राधे राधे बोल,
बरसाने मे दोल, के मुख से राधे राधे बोल,
एक कोर कृपा की करदो स्वामिनी श्री
दासी की झोली भर दो लाडली श्री राधे॥
दिल लूटके ले गया नी सहेलियो मेरा
मैं तक्दी रह गयी नी सहेलियो लगदा बड़ा
दुनिया का बन कर देख लिया, श्यामा का बन
राधा नाम में कितनी शक्ति है, इस राह पर
दिल की हर धड़कन से तेरा नाम निकलता है
तेरे दर्शन को मोहन तेरा दास तरसता है
मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री कैसो चटक
श्याम मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री
ज़री की पगड़ी बाँधे, सुंदर आँखों वाला,
कितना सुंदर लागे बिहारी कितना लागे
जिंदगी एक किराये का घर है,
एक न एक दिन बदलना पड़ेगा॥
फूलों में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन
और संग में सज रही है वृषभानु की
श्याम हमारे दिल से पूछो, कितना तुमको
याद में तेरी मुरली वाले, जीवन यूँ ही
मेरा अवगुण भरा शरीर, कहो ना कैसे
कैसे तारोगे प्रभु जी मेरो, प्रभु जी
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं
वो तो दशरथ राज दुलारे हैं
हर पल तेरे साथ मैं रहता हूँ,
डरने की क्या बात? जब मैं बैठा हूँ

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दर्शन करने आए, दर्शन करके जाएंगे,
श्याम के दरबार, से झोली भर के जाएंगे,
शंभू रे ओ शंभू रे,
तेरा भेद ना जाना,
अ र र, तेरे खेल निराले,
बाबोसा चुरू वाले,
रामजी से हमको मिला दो बजरंगी,
मिला दो बजरंगी, मिला दो बजरंगी,
मैया को कैसे मैं मनाऊँ रे,
मेरी मैया ना माने,