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Bhagwat katha by Pundrik Gosesmiji

Shreemad Bhagwat Katha - Pundrik Goswami ji Maharaj - Day 1 (Salt Lake, Kolkata)

Shreemad Bhagwat Katha - Pundrik Goswami ji Maharaj - Day 2 (Salt Lake, Kolkata)

Shreemad Bhagwat Katha - Pundrik Goswami ji Maharaj - Day 3 (Salt Lake, Kolkata)

Shreemad Bhagwat Katha - Pundrik Goswami ji Maharaj - Day 4 (Salt Lake, Kolkata)

Shreemad Bhagwat Katha - Pundrik Goswami ji Maharaj - Day 5 (Salt Lake, Kolkata)

Shreemad Bhagwat Katha - Pundrik Goswami ji Maharaj - Day 6 (Salt Lake, Kolkata)

Shreemad Bhagwat Katha - Pundrik Goswami ji Maharaj - Day 7 (Salt Lake, Kolkata)

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Shreemad Bhagwat Katha - Pundrik Goswami ji Maharaj - Day 1 (Salt Lake, Kolkata)
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Shreemad Bhagwat Katha - Pundrik Goswami ji Maharaj - Day 3 (Salt Lake, Kolkata)
Shreemad Bhagwat Katha - Pundrik Goswami ji Maharaj - Day 4 (Salt Lake, Kolkata)
Shreemad Bhagwat Katha - Pundrik Goswami ji Maharaj - Day 5 (Salt Lake, Kolkata)
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किसी को भांग का नशा है मुझे तेरा नशा है,
भोले ओ शंकर भोले मनवा कभी न डोले,
मुझे चढ़ गया राधा रंग रंग, मुझे चढ़ गया
श्री राधा नाम का रंग रंग, श्री राधा नाम
यह मेरी अर्जी है,
मैं वैसी बन जाऊं जो तेरी मर्ज़ी है
तू कितनी अच्ची है, तू कितनी भोली है,
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ ।
जगत में किसने सुख पाया
जो आया सो पछताया, जगत में किसने सुख
मोहे आन मिलो श्याम, बहुत दिन बीत गए।
बहुत दिन बीत गए, बहुत युग बीत गए ॥
एक कोर कृपा की करदो स्वामिनी श्री
दासी की झोली भर दो लाडली श्री राधे॥
आप आए नहीं और सुबह हो मई
मेरी पूजा की थाली धरी रह गई
राधा ढूंढ रही किसी ने मेरा श्याम देखा
श्याम देखा घनश्याम देखा
यशोमती मैया से बोले नंदलाला,
राधा क्यूँ गोरी, मैं क्यूँ काला
शिव कैलाशों के वासी, धौलीधारों के राजा
शंकर संकट हारना, शंकर संकट हारना
इक तारा वाजदा जी हर दम गोविन्द गोविन्द
जग ताने देंदा ए, तै मैनु कोई फरक नहीं
अच्युतम केशवं राम नारायणं,
कृष्ण दमोधराम वासुदेवं हरिं,
लाली की सुनके मैं आयी
कीरत मैया दे दे बधाई
तमन्ना यही है के उड के बरसाने आयुं मैं
आके बरसाने में तेरे दिल की हसरतो को
श्यामा तेरे चरणों की गर धूल जो मिल
सच कहता हूँ मेरी तकदीर बदल जाए॥
सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया
दिल दीवाना हो गया, दिल दीवाना हो गया ॥
मेरा आपकी कृपा से,
सब काम हो रहा है
तेरा पल पल बिता जाए रे
मुख से जप ले नमः शवाए
वृंदावन में हुकुम चले बरसाने वाली का,
कान्हा भी दीवाना है श्री श्यामा
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे,
कोई सोना की जो होती, हीरा मोत्यां की जो
मेरा अवगुण भरा शरीर, कहो ना कैसे
कैसे तारोगे प्रभु जी मेरो, प्रभु जी
कारे से लाल बनाए गयी रे,
गोरी बरसाने वारी
बांके बिहारी की देख छटा,
मेरो मन है गयो लटा पटा।
तेरी मुरली की धुन सुनने मैं बरसाने से
मैं बरसाने से आयी हूँ, मैं वृषभानु की
वृदावन जाने को जी चाहता है,
राधे राधे गाने को जी चाहता है,
दिल की हर धड़कन से तेरा नाम निकलता है
तेरे दर्शन को मोहन तेरा दास तरसता है
रसिया को नार बनावो री रसिया को
रसिया को नार बनावो री रसिया को
सांवरे से मिलने का, सत्संग ही बहाना है,
चलो सत्संग में चलें, हमें हरी गुण गाना
कैसे जिऊ मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही ना लागे तुम्हारे बिना

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बाबा तेरा खाटू बड़ा प्यारा देखा है
ऐसा कोई दूजा है द्वारा कहे जग सारा आके
पर्वत पर बैठे भोलानाथ आवेगी गोरा
तेरे हाथों का, खिलौना हूँ मैं साँवरा,
जैसे मर्ज़ी तूँ, मुझको नचाए जा
अरे दशरथ के राजकुमार बन में फिरते मारे
बन में फिरते मारे मारे, बन में फिरते
सतगुरू आवंणगें, फेरा पावंणगें घर मेरे,
नी मैं सदके जावा उस वेले,