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साधक रामप्रसादको माँ कालीकी कृपानुभूति

बंगालके प्रसिद्ध शाक्त साधक रामप्रसादजी माँ कालीके अनन्य भक्त थे। भगवतीने अनेक बार इन्हें साक्षात् दर्शन दिया था। अन्य साधु-महात्मा तथा भक्तोंकी भाँति इनके सम्बन्धमें भी बहुत-सी कथाएँ कही जाती हैं। उनमेंसे दो कृपानुभूतिपरक कथाएँ यहाँ दी जा रही हैं

(१) जब महाकालीने बालिकारूपमें स्वयं बाड़ा बँधवाया

एक बार ये बाड़ा बाँध रहे थे। हाथ तो यन्त्रकी भाँति काम कर रहे थे, इनका मन महामायाके चरणोंमें था। ये बाह्य ज्ञान शून्य होकर बाड़ेको बाँधते जाते थे। इनकी बड़ी लड़की बाड़ेके ऊपर बैठी हुई इन्हें बाड़ा बाँधनेके लिये रस्सी देती जाती थी और ये बाह्य ज्ञान शून्य अपनी धुनमें मस्त होकर बाड़ा बाँध रहे थे। लड़की किसी आवश्यक कार्यसे बाड़ेको छोड़कर घर चली गयी।

बहुत देर बाद जब वह लौटकर आयी, तब उसने देखा कि पिताजी तो बहुत अधिक बाड़ा बाँध चुके हैं। उसने आश्चर्यचकित होकर पूछा-' आप इतना अधिक बाड़ा बाँध चुके, किंतु यह बताइये कि आपको रस्सी कौन `देता गया?' इसपर रामप्रसादजीने जवाब दिया- 'तू ही तो रस्सी दे रही थी ? उसने कहा-'मैं तो बड़ी देर हुई, तबकी घरमें थी। मैं तो घरसे अभी-अभी चली आ रही हूँ।' इसपर रामप्रसादजीने कहा-'यदि तू न होगी तो साक्षात् जगदीश्वरी ही मेरी सहायता कर रही होंगी। 'यहकहते-कहते वे प्रेममें मग्न होकर माताके गुणानुवाद गाने लगे और प्रेममें तल्लीन होनेके कारण बेसुध हो गये ।

(२)

भगवतीने जब स्वयं भक्तका गायन सुननेकीइच्छा प्रकट की एक बार ये गंगा जी में स्नान करनेके लिये गये हुएथे। इतनेहीमें एक स्त्री इनके यहाँ आयी। उसने रामप्रसादके सम्बन्धमें पूछा और अपना परिचय दिया कि 'मैं बड़ी दूरसे उनका गाना सुनने आयी हूँ । यदि वह आ जाय तो उसे मेरे पास भेजना, मैं कालीमण्डपमें बैठी 'हूँ।' यह कहकर वह चली गयी। रामप्रसादजी जब गंगाजी से लौटकर आये, तब घरवालोंने उस स्त्रीकी कही हुई सभी बातें रामप्रसादसे कहीं। यह सुनकर रामप्रसाद चण्डीमण्डपमें गये, किंतु वहाँ किसी स्त्रीको नहीं देखा। वहाँपर दो लड़कियाँ खेल रही थीं। रामप्रसादने जब उन लड़कियोंसे उस स्त्रीके सम्बन्धमें पूछा, तब उन्होंने कहा- 'हाँ, एक । स्त्री आयी तो थी। वह बैठी भी रही, फिर यह कहकर । चली गयी कि रामप्रसाद आये तो उसे काशी भेज देना।' यह सुनते ही रामप्रसादने समझा कि साक्षात् अन्नपूर्णा ही काशीसे मेरा गाना सुनने आयी थीं। यह सोचकर वे गीले कपड़ोंको पहने ही काशी जी को चल दिये।

रास्तेमें त्रिवेणीके पास वे किसी गाँवमें ठहरे थे, तभी माताने इनसे स्वप्नमें कहा-'रामप्रसाद ! तुम यहीं बैठकर मुझे अपना गाना सुनाओ।' तब रामप्रसादने वहीं ह अपना गाना सुनाया। [ संकलित ]



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saadhak raamaprasaadako maan kaaleekee kripaanubhooti

bangaalake prasiddh shaakt saadhak raamaprasaadajee maan kaaleeke anany bhakt the. bhagavateene anek baar inhen saakshaat darshan diya thaa. any saadhu-mahaatma tatha bhaktonkee bhaanti inake sambandhamen bhee bahuta-see kathaaen kahee jaatee hain. unamense do kripaanubhootiparak kathaaen yahaan dee ja rahee hain

(1) jab mahaakaaleene baalikaaroopamen svayan baaड़a bandhavaayaa

ek baar ye baada़a baandh rahe the. haath to yantrakee bhaanti kaam kar rahe the, inaka man mahaamaayaake charanonmen thaa. ye baahy jnaan shoony hokar baada़eko baandhate jaate the. inakee bada़ee lada़kee baada़eke oopar baithee huee inhen baada़a baandhaneke liye rassee detee jaatee thee aur ye baahy jnaan shoony apanee dhunamen mast hokar baada़a baandh rahe the. lada़kee kisee aavashyak kaaryase baada़eko chhoda़kar ghar chalee gayee.

bahut der baad jab vah lautakar aayee, tab usane dekha ki pitaajee to bahut adhik baada़a baandh chuke hain. usane aashcharyachakit hokar poochhaa-' aap itana adhik baada़a baandh chuke, kintu yah bataaiye ki aapako rassee kaun `deta gayaa?' isapar raamaprasaadajeene javaab diyaa- 'too hee to rassee de rahee thee ? usane kahaa-'main to bada़ee der huee, tabakee gharamen thee. main to gharase abhee-abhee chalee a rahee hoon.' isapar raamaprasaadajeene kahaa-'yadi too n hogee to saakshaat jagadeeshvaree hee meree sahaayata kar rahee hongee. 'yahakahate-kahate ve premamen magn hokar maataake gunaanuvaad gaane lage aur premamen talleen honeke kaaran besudh ho gaye .

(2)

bhagavateene jab svayan bhaktaka gaayan sunanekeeichchha prakat kee ek baar ye ganga jee men snaan karaneke liye gaye huethe. itaneheemen ek stree inake yahaan aayee. usane raamaprasaadake sambandhamen poochha aur apana parichay diya ki 'main bada़ee doorase unaka gaana sunane aayee hoon . yadi vah a jaay to use mere paas bhejana, main kaaleemandapamen baithee 'hoon.' yah kahakar vah chalee gayee. raamaprasaadajee jab gangaajee se lautakar aaye, tab gharavaalonne us streekee kahee huee sabhee baaten raamaprasaadase kaheen. yah sunakar raamaprasaad chandeemandapamen gaye, kintu vahaan kisee streeko naheen dekhaa. vahaanpar do lada़kiyaan khel rahee theen. raamaprasaadane jab un lada़kiyonse us streeke sambandhamen poochha, tab unhonne kahaa- 'haan, ek . stree aayee to thee. vah baithee bhee rahee, phir yah kahakar . chalee gayee ki raamaprasaad aaye to use kaashee bhej denaa.' yah sunate hee raamaprasaadane samajha ki saakshaat annapoorna hee kaasheese mera gaana sunane aayee theen. yah sochakar ve geele kapada़onko pahane hee kaashee jee ko chal diye.

raastemen triveneeke paas ve kisee gaanvamen thahare the, tabhee maataane inase svapnamen kahaa-'raamaprasaad ! tum yaheen baithakar mujhe apana gaana sunaao.' tab raamaprasaadane vaheen h apana gaana sunaayaa. [ sankalit ]

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