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श्रीबाँकेबिहारीद्वारा सहायता प्राप्त हुई

बात पिछले दस वर्ष पूर्वकी है। मेरी माताजीकी टीचर ट्रेनिंग वृन्दावनके एक स्कूलमें चल रही थी। मेरी संक्रान्तिकी छुट्टी हो गयी थी। मैंने वृन्दावन जानेकी योजना बनायी और उरईसे बसद्वारा झाँसी पहुँचा। फिर ट्रेनसे मथुरा पहुँचा, उस समय रातके तकरीबन दस बज चुके थे। जाड़ेका समय था, इस समय ठण्डक प्रायः अपने चरमपर ही रहती है। मेरे पास कुछ सामानके अलावा केवल एक कम्बल ही था, जो उस भीषण ठण्डके सामने कुछ भी नहीं होनेके समान था। अब एक समस्या सामने थी कि वृन्दावन कैसे पहुँचा जाय, क्योंकि जाड़ेके मौसमके लिये रात्रिमें १० बजेका समय बहुत होता है। सो कोई सवारी नहीं दिख रही थी। अब क्या करूँ, कुछ समझमें नहीं आ रहा था। ठण्डकी वजहसे प्लेटफार्मपर भी रुकना कठिन प्रतीत हो रहा था। तभी देखा कि एक ताँगेवाला सवारी ढूँढ़ते हुए आवाज लगा रहा है- 'किसीको वृन्दावन जाना है ?' मुझे भगवत्कृपा प्रतीत हुई और मैंने मन-ही-मन भगवान्‌का धन्यवाद करते हुए उस ताँगेवालेसे कहा-'हाँ, मुझे रंगजी महलके पहले अग्रवाल धर्मशालाके पास जाना है। वहीं मेरी माँ किरायेके कमरेमें रहती हैं।' ताँगेवालेने मुझे बैठा लिया और मुझे अग्रवालधर्मशाला के पास उतारकर चला गया। मैंने चारों तरफ कुंडी खटखटायी, किंतु किसीने किवाड़ नहीं खोले। 'माँने धर्मशालाके पास ही तो बताया था। लगता है ठण्डकी वजहसे कोई दरवाजा नहीं खोल रहा है।' मैं मन-ही-मन बुदबुदाने लगा। तभी मुझे ख्याल आया कि सुनते हैं कि वृन्दावनमें श्रीबाँकेबिहारी हैं, वे असहाय, परेशानकी मदद करते हैं। मैंने उन्हें याद किया। थोड़ी ही देरमें चैतन्यदेवके मन्दिरके पीछेसे आठ वर्षका बालक हाफ पैण्ट-शर्ट पहने आया ! मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि ऐसी ठण्डमें ये बालक कहाँसे आया ! उसने पूछा- 'कहो, किसीको ढूँढ़ रहे हो ?' मैंने कहा-'मैं अपनी माँको ढूँढ़ रहा हूँ, पर कोई नहीं बता रहा है।' उस बालकने एक फाटककी तरफ इशारा किया। मैंने मुड़कर फाटक देखा फिर बालकको देखा तो वह कहीं न दिखा। बड़ा आश्चर्य हुआ। मैंने फाटक खटखटाया तो माँ आ गयी। मैंने उन्हें सब घटना बतायी तो वे बोलीं- 'यहाँ बाँकेबिहारी सबकी मदद करते हैं, बस विश्वास तथा व्याकुलतासे उन्हें कोई बुलाये।' आज भी जब मैं वृन्दावन जाता हूँ तो उस स्थानपर अवश्य जाता हूँ और वहाँकी धूल अपने माथे पर लगा लेता हूँ, जहाँ बाँकेबिहारीने दर्शन दिये थे।

[ श्रीघनश्यामशरणजी श्रीवास्तव ]



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shreebaankebihaareedvaara sahaayata praapt huee

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[ shreeghanashyaamasharanajee shreevaastav ]

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जय राधे राधे, राधे राधे
जय राधे राधे, राधे राधे
जा जा वे ऊधो तुरेया जा
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बोलो राम राम राम, बोलो श्याम श्याम
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नाम तेरा हरि नाम तेरा, नाम तेरा हरि नाम
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के पत्ता पत्ता श्याम बोलता, के पत्ता
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तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
प्रीतम बोलो कब आओगे॥
बालम बोलो कब आओगे॥
सुबह सवेरे  लेकर तेरा नाम प्रभु,
करते है हम शुरु आज का काम प्रभु,
कारे से लाल बनाए गयी रे,
गोरी बरसाने वारी
सज धज कर जिस दिन मौत की शहजादी आएगी,
ना सोना काम आएगा, ना चांदी आएगी।
सब दुख दूर हुए जब तेरा नाम लिया
कौन मिटाए उसे जिसको राखे पिया
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मेरा मन ही ना लागे तुम्हारे बिना
ना मैं मीरा ना मैं राधा,
फिर भी श्याम को पाना है ।
सांवरे से मिलने का, सत्संग ही बहाना है,
चलो सत्संग में चलें, हमें हरी गुण गाना
मेरी विनती यही है राधा रानी, कृपा
मुझे तेरा ही सहारा महारानी, चरणों से
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यही मेरी ज़िंदगी है, यही मेरी बंदगी है
तेरा पल पल बिता जाए रे
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अरे बदलो ले लूँगी दारी के,
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