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नारायणावतार श्रीदत्तात्रेयजीके कवचकी महिमा

पिछले करीब दस वर्षोंसे मैं अनिद्रा रोगसे पीड़ित था। इस रोगकी निवृत्तिके लिये मैंने कई प्रकारकी ओषधियाँ कीं । चार-चार, छः-छः नींदकी गोलियाँ लेनेके बावजूद भी नींद कोसों दूर रहती थी। नींद न लगनेसे अन्य कई प्रकारके रोगोंका प्रादुर्भाव हो गया। इन विकारोंका मैं सामना कर रहा था। मानसिक संतुलन भी दिनोंदिन बिगड़ता जा रहा था। इस कठिन परिस्थिति में भगवान्की प्रार्थना करनेके अतिरिक्त अब और कोई उपाय शेष नहीं रह गया था। आखिर, भगवान्ने मेरी प्रार्थना सुनी।

मल्लिकार्जुनके दर्शन करनेके लिये मैं श्रीशैलम् गया था। श्रीशिवजीकी पूजा-अर्चना करके मैंने अपनी नित्यकी प्रार्थना की। मन्दिरसे बाहर आनेके बाद मुझे 'बिल्ववनम्' देखनेकी इच्छा हुई और मैं उस ओर चला गया। वहाँ भ्रमण करते समय एक महात्मा पेड़के नीचे बैठे हुए मुझे दिखायी पड़े। मैंने उन्हें प्रणाम किया । बातचीतके दौरान मैंने उनको अपनी व्यथा सुनायी। उन्होंने मुझसे कहा एक नोटबुक और पेन लेकर आओ। तुम्हारे रोगका इलाज मेरे पास है, मैं बताऊँगा। वहाँसे मैं उठा और सीधे मन्दिरके पास आया तथा दूकानसे एक नोटबुक खरीदकर उन महात्माजीके पास गया। पेन तो मेरे पास थी ही ।

उन महात्माने मुझे 'दत्तात्रेय-वज्र-कवच' नामक एक स्तोत्र लिखकर दिया और बताया कि सोते समय किसी व्यक्तिको यह स्तोत्र पढ़नेको कहना और तुम सो जाना। आज ही इसका प्रयोग करके मुझे कल आकर बताना। मैं फौरन वहाँसे निकलकर लॉजके ऊपर आया। मैंने अपने एक अन्य साथीको सभी बातें बताकर स्तोत्र पढ़नेको कहा। उसने जब स्तोत्र पढ़ना शुरू किया तो थोड़ी ही देरमें मुझे गहरी नींद आ गयी। जब मैं उठा, तब पता चला कि मैं करीब दस घंटे गहरी नींदमें सोया था। दूसरे दिन उठते ही बड़े आनन्दसे मैं फल-फूल लेकर उन महात्माजीके दर्शन करने गया और उनके प्रति अपनी -'दत्तात्रेय-वज्र कृतज्ञता व्यक्त की। महात्माजीने कहा-' कवच' एक सिद्ध स्तोत्र है । इस स्तोत्रमें कई प्रकारके सामर्थ्य हैं। इस स्तोत्रके नित्य पाठसे कुण्डलिनी भी जाग्रत् होती है तथा ध्यान-मार्गमें आनेवाले सभी विघ्न दूर हो जाते हैं। सभी प्रकारकी मन:कामनाएँ पूर्ण हो जाती हैं। ग्रह एवं पिशाच- बाधाएँ भी दूर हो जाती हैं।

महात्माजीका कृपा-आशीर्वाद लेकर मैं अपने गाँव आया। आज भी उन महात्माजीके बताये हुए स्तोत्रका मैं निरन्तर पाठ करता हूँ, जिससे मुझे पूर्ण सन्तोष है और धर्ममार्गमें भी अच्छी प्रगति हो रही है।"

[ श्रीदिलीपजी आचरेकर ]



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naaraayanaavataar shreedattaatreyajeeke kavachakee mahimaa

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[ shreedileepajee aacharekar ]

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