Download Bhagwad Gita 9.31 Download BG 9.31 as Image

⮪ BG 9.30 Bhagwad Gita Hindi Translation BG 9.32⮫

Bhagavad Gita Chapter 9 Verse 31

भगवद् गीता अध्याय 9 श्लोक 31

क्षिप्रं भवति धर्मात्मा शश्वच्छान्तिं निगच्छति।
कौन्तेय प्रतिजानीहि न मे भक्तः प्रणश्यति।।9.31।।

हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 9.31)

।।9.31।।वह तत्काल (उसी क्षण) धर्मात्मा हो जाता है और निरन्तर रहनेवाली शान्तिको प्राप्त हो जाता है। हे कुन्तीनन्दन तुम प्रतिज्ञा करो कि मेरे भक्तका विनाश (पतन) नहीं होता।

हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद

।।9.31।। हे कौन्तेय? वह शीघ्र ही धर्मात्मा बन जाता है और शाश्वत शान्ति को प्राप्त होता है। तुम निश्चयपूर्वक सत्य जानो कि मेरा भक्त कभी नष्ट नहीं होता।।