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Bhagavad Gita Chapter 7 Verse 1

भगवद् गीता अध्याय 7 श्लोक 1

श्री भगवानुवाच
मय्यासक्तमनाः पार्थ योगं युञ्जन्मदाश्रयः।
असंशयं समग्रं मां यथा ज्ञास्यसि तच्छृणु।।7.1।।

हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 7.1)

।।7.1।।श्रीभगवान् बोले हे पृथानन्दन मुझमें आसक्त मनवाला मेरे आश्रित होकर योगका अभ्यास करता हुआ तू मेरे समग्ररूपको निःसन्देह जैसा जानेगा उसको सुन।

हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद

।।7.1।। हे पार्थ मुझमें असक्त हुए मन वाले तथा मदाश्रित होकर योग का अभ्यास करते हुए जिस प्रकार तुम मुझे समग्ररूप से बिना किसी संशय के जानोगे वह सुनो।।