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Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 20

भगवद् गीता अध्याय 3 श्लोक 20

कर्मणैव हि संसिद्धिमास्थिता जनकादयः।
लोकसंग्रहमेवापि संपश्यन्कर्तुमर्हसि।।3.20।।

हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 3.20)

।।3.20।।राजा जनकजैसे अनेक महापुरुष भी कर्मके द्वारा ही परमसिद्धिको प्राप्त हुए हैं। इसलिये लोकसंग्रहको देखते हुए भी तू (निष्कामभावसे) कर्म करनेके योग्य है।

हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद

।।3.20।। जनकादि (ज्ञानी जन) भी कर्म द्वारा ही संसिद्धि को प्राप्त हुये लोक संग्रह (लोक रक्षण) को भी देखते हुये तुम कर्म करने योग्य हो।।