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Bhagavad Gita Chapter 18 Verse 1

भगवद् गीता अध्याय 18 श्लोक 1

अर्जुन उवाच
संन्यासस्य महाबाहो तत्त्वमिच्छामि वेदितुम्।
त्यागस्य च हृषीकेश पृथक्केशिनिषूदन।।18.1।।

हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 18.1)

।।18.1।।(टिप्पणी प0 868) अर्जुन बोले -- हे महाबाहो हे हृषीकेश हे केशिनिषूदन मैं संन्यास और त्यागका तत्त्व अलगअलग जानना चाहता हूँ।

हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद

।।18.1।। अर्जुन ने कहा -- हे महाबाहो हे हृषीकेश हे केशनिषूदन मैं संन्यास और त्याग के तत्त्व को पृथक्पृथक् जानना चाहता हूँ।।