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Bhagavad Gita Chapter 14 Verse 5

भगवद् गीता अध्याय 14 श्लोक 5

सत्त्वं रजस्तम इति गुणाः प्रकृतिसंभवाः।
निबध्नन्ति महाबाहो देहे देहिनमव्ययम्।।14.5।।

हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 14.5)

।।14.5।।हे महाबाहो प्रकृतिसे उत्पन्न होनेवाले सत्त्व? रज और तम -- ये तीनों गुण अविनाशी देहीको देहमें बाँध देते हैं।

हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद

।।14.5।। हे महाबाहो सत्त्व? रज और तम ये प्रकृति से उत्पन्न तीनों गुण देही आत्मा को देह के साथ बांध देते हैं।।