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Bhagavad Gita Chapter 11 Verse 19

भगवद् गीता अध्याय 11 श्लोक 19

अनादिमध्यान्तमनन्तवीर्य
मनन्तबाहुं शशिसूर्यनेत्रम्।
पश्यामि त्वां दीप्तहुताशवक्त्रम्
स्वतेजसा विश्वमिदं तपन्तम्।।11.19।।

हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 11.19)

।।11.19।।आपको मैं आदि? मध्य और अन्तसे रहित? अनन्त प्रभावशाली? अनन्त भुजाओंवाले? चन्द्र और सूर्यरूप नेत्रोंवाले? प्रज्वलित अग्निके समान मुखोंवाले और अपने तेजसे संसारको संतप्त करते हुए देख रहा हूँ।

हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद

।।11.19।। मैं आपको आदि? अन्त और मध्य से रहित तथा अनंत सार्मथ्य से युक्त और अनंत बाहुओं वाला तथा चन्द्रसूर्यरूपी नेत्रों वाला और दीप्त अग्निरूपी मुख वाला तथा अपने तेज से इस विश्व को तपाते हुए देखता हूँ।।