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रो रो कर विनती करता है माँ वैष्णो इसकी खबर लेना,
इस निर्धन दास को भी माता, तुम बुलवा कटरा नगर लेना,

रो रो कर विनती करता है माँ वैष्णो इसकी खबर लेना,
इस निर्धन दास को भी माता, तुम बुलवा कटरा नगर लेना,
रो रो कर विनती करता है माँ वैष्णो इसकी खबर लेना...


ये कब से है इच्छा मेरी माँ तेरे दर्शन पाने की,
दो आज्ञा मुझे भी हे माता अपने दरबार में आने की,
मुझको भी मिले मौका मैया माँ दूर करो मेरा दुखड़ा,
तुम बुलवा के मुझे भी कटरा नगर तुम पीड़ा मेरी हर लेना,
रो रो कर विनती करता है माँ वैष्णो इसकी खबर लेना,
इस निर्धन दास को भी माता तुम बुलवा कटरा नगर लेना,
रो रो कर विनती करता है...

माँ तुम तो पहाड़ो वाली हो ऊँचे पर्वत पे भवन तेरा,
है राह कठिन डगर मुश्किल और उस पर से है सफर लम्बा,
मुझे जब भी माता बुलवाना मुझे देने सहारा तुम आना,
जब गिरने लागू मै हे मैया मेरी बाँह तू अम्बे धर लेना,
रो रो कर विनती करता है माँ वैष्णो इसकी खबर लेना,
इस निर्धन दास को भी माता तुम बुलवा कटरा नगर लेना,
रो रो कर विनती करता है...

जब जब भी नवरात्रे आते है श्रद्धालु कटरा जाते हैं,
तू जिनको भी बुलवाती है वो तेरे दर्शन पातें हैं,
इस निर्धन की ये विनती है तुमसे बस इतनी अर्जी है,
अब के नवरात्रों में मैया बुलवा मुझे अपने दर लेना,
रो रो कर विनती करता है माँ वैष्णो इसकी खबर लेना,
इस निर्धन दास को भी माता तुम बुलवा कटरा नगर लेना,
रो रो कर विनती करता है...

ये अनवर गुजराती रखता है कामना मन में दर्शन की,
कब संदेशा तुम भेजोगी कब लोगी खबर इस निर्धन की,
ये वो गुजराती शयर है जो सेवक माँ एक नम्बर है,
सेवा ये करेगा आजीवन तुम रख इसको चाकर लेना,
रो रो कर विनती करता है माँ वैष्णो इसकी खबर लेना,
इस निर्धन दास को भी माता तुम बुलवा कटरा नगर लेना,
रो रो कर विनती करता है...

रो रो कर विनती करता है माँ वैष्णो इसकी खबर लेना,
इस निर्धन दास को भी माता, तुम बुलवा कटरा नगर लेना,
रो रो कर विनती करता है माँ वैष्णो इसकी खबर लेना...




ro ro kar vinati karata hai ma vaishno isaki khabar lena,
is nirdhan daas ko bhi maata, tum bulava katara nagar lena,

ro ro kar vinati karata hai ma vaishno isaki khabar lena,
is nirdhan daas ko bhi maata, tum bulava katara nagar lena,
ro ro kar vinati karata hai ma vaishno isaki khabar lenaa...


ye kab se hai ichchha meri ma tere darshan paane ki,
do aagya mujhe bhi he maata apane darabaar me aane ki,
mujhako bhi mile mauka maiya ma door karo mera dukhada,
tum bulava ke mujhe bhi katara nagar tum peeda meri har lena,
ro ro kar vinati karata hai ma vaishno isaki khabar lena,
is nirdhan daas ko bhi maata tum bulava katara nagar lena,
ro ro kar vinati karata hai...

ma tum to pahaado vaali ho oonche parvat pe bhavan tera,
hai raah kthin dagar mushkil aur us par se hai sphar lamba,
mujhe jab bhi maata bulavaana mujhe dene sahaara tum aana,
jab girane laagoo mai he maiya meri baanh too ambe dhar lena,
ro ro kar vinati karata hai ma vaishno isaki khabar lena,
is nirdhan daas ko bhi maata tum bulava katara nagar lena,
ro ro kar vinati karata hai...

jab jab bhi navaraatre aate hai shrddhaalu katara jaate hain,
too jinako bhi bulavaati hai vo tere darshan paaten hain,
is nirdhan ki ye vinati hai tumase bas itani arji hai,
ab ke navaraatron me maiya bulava mujhe apane dar lena,
ro ro kar vinati karata hai ma vaishno isaki khabar lena,
is nirdhan daas ko bhi maata tum bulava katara nagar lena,
ro ro kar vinati karata hai...

ye anavar gujaraati rkhata hai kaamana man me darshan ki,
kab sandesha tum bhejogi kab logi khabar is nirdhan ki,
ye vo gujaraati shayar hai jo sevak ma ek nambar hai,
seva ye karega aajeevan tum rkh isako chaakar lena,
ro ro kar vinati karata hai ma vaishno isaki khabar lena,
is nirdhan daas ko bhi maata tum bulava katara nagar lena,
ro ro kar vinati karata hai...

ro ro kar vinati karata hai ma vaishno isaki khabar lena,
is nirdhan daas ko bhi maata, tum bulava katara nagar lena,
ro ro kar vinati karata hai ma vaishno isaki khabar lenaa...




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