Bhagavad Gita Chapter 8 Verse 22 भगवद् गीता अध्याय 8 श्लोक 22 पुरुषः स परः पार्थ भक्त्या लभ्यस्त्वनन्यया। यस्यान्तःस्थानि भूतानि येन सर्वमिदं ततम्।।8.22।। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।8.22।। हे पार्थ जिस (परमात्मा) के अन्तर्गत समस्त भूत हैं और जिससे यह सम्पूर्ण (जगत्) व्याप्त है वह परम पुरुष अनन्य भक्ति से ही प्राप्त करने योग्य है।। Kumara Vaishnava Sampradaya - Commentary The Supreme Purusa is He in whom all things reside and who resides in all things. He the Supreme Being is accessible only by bhakti or unadulterated loving devotion.