Bhagavad Gita Chapter 6 Verse 13 भगवद् गीता अध्याय 6 श्लोक 13 समं कायशिरोग्रीवं धारयन्नचलं स्थिरः। संप्रेक्ष्य नासिकाग्रं स्वं दिशश्चानवलोकयन्।।6.13।। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।6.13।। काया सिर और ग्रीवा को समान और अचल धारण किये हुए स्थिर होकर अपनी नासिका के अग्र भाग को देखकर अन्य दिशाओं को न देखता हुआ।। Brahma Vaishnava Sampradaya - Commentary There is no commentary for this verse.