Bhagavad Gita Chapter 5 Verse 11 भगवद् गीता अध्याय 5 श्लोक 11 कायेन मनसा बुद्ध्या केवलैरिन्द्रियैरपि। योगिनः कर्म कुर्वन्ति सङ्गं त्यक्त्वाऽऽत्मशुद्धये।।5.11।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 5.11) ।।5.11।।कर्मयोगी आसक्तिका त्याग करके केवल (ममतारहित) इन्द्रियाँशरीरमनबुद्धिके द्वारा अन्तःकरणकी शुद्धिके लिये ही कर्म करते हैं। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।5.11।। योगीजन शरीर मन बुद्धि और इन्द्रियों द्वारा आसक्ति को त्याग कर आत्मशुद्धि (चित्तशुद्धि) के लिए कर्म करते हैं।।