Bhagavad Gita Chapter 4 Verse 35 भगवद् गीता अध्याय 4 श्लोक 35 यज्ज्ञात्वा न पुनर्मोहमेवं यास्यसि पाण्डव। येन भूतान्यशेषेण द्रक्ष्यस्यात्मन्यथो मयि।।4.35।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 4.35) ।।4.35।।जिस(तत्त्वज्ञान) का अनुभव करनेके बाद तू फिर इस प्रकार मोहको नहीं प्राप्त होगा और हे अर्जुन जिस(तत्त्वज्ञान)से तू सम्पूर्ण प्राणियोंको निःशेषभावसे पहले अपनेमें और उसके बाद मुझ सच्चिदानन्दघन परमात्मामें देखेगा। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।4.35।। जिसको जानकर तुम पुन इस प्रकार मोह को नहीं प्राप्त होगे और हे पाण्डव जिसके द्वारा तुम भूतमात्र को अपने आत्मस्वरूप में तथा मुझमें भी देखोगे।।