Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 32 भगवद् गीता अध्याय 2 श्लोक 32 यदृच्छया चोपपन्नं स्वर्गद्वारमपावृतम्। सुखिनः क्षत्रियाः पार्थ लभन्ते युद्धमीदृशम्।।2.32।। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।2.32।। और हे पार्थ अपने आप प्राप्त हुए और स्वर्ग के लिए खुले हुए द्वाररूप इस प्रकार के युद्ध को भाग्यवान क्षत्रिय लोग ही पाते हैं।। Brahma Vaishnava Sampradaya - Commentary There is no commentary for this verse.