Bhagavad Gita Chapter 18 Verse 58 भगवद् गीता अध्याय 18 श्लोक 58 मच्चित्तः सर्वदुर्गाणि मत्प्रसादात्तरिष्यसि। अथ चेत्त्वमहङ्कारान्न श्रोष्यसि विनङ्क्ष्यसि।।18.58।। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।18.58।। मच्चित्त होकर तुम मेरी कृपा से समस्त कठिनाइयों (सर्वदुर्गाणि) को पार कर जाओगे और यदि अहंकारवश (इस उपदेश को) नहीं सुनोगे? तो तुम नष्ट हो जाओगे।। Brahma Vaishnava Sampradaya - Commentary There is no commentary for this verse.