Bhagavad Gita Chapter 18 Verse 47 भगवद् गीता अध्याय 18 श्लोक 47 श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात्। स्वभावनियतं कर्म कुर्वन्नाप्नोति किल्बिषम्।।18.47।। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।18.47।। सम्यक् अनुष्ठित परधर्म की अपेक्षा गुणरहित स्वधर्म श्रेष्ठ है। (क्योंकि) स्वभाव से नियत किये गये कर्म को करते हुए मनुष्य पाप को नहीं प्राप्त करता।। Brahma Vaishnava Sampradaya - Commentary There is no commentary for this verse.