Bhagavad Gita Chapter 17 Verse 8 भगवद् गीता अध्याय 17 श्लोक 8 आयुःसत्त्वबलारोग्यसुखप्रीतिविवर्धनाः। रस्याः स्निग्धाः स्थिरा हृद्या आहाराः सात्त्विकप्रियाः।।17.8।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 17.8) ।।17.8।।आयु? सत्त्वगुण? बल? आरोग्य? सुख और प्रसन्नता बढ़ानेवाले? स्थिर रहनेवाले? हृदयको शक्ति देनेवाले? रसयुक्त तथा चिकने -- ऐसे आहार अर्थात् भोजन करनेके पदार्थ सात्त्विक मनुष्यको प्रिय होते हैं। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।17.8।। आयु? सत्त्व (शुद्धि)? बल? आरोग्य? सुख और प्रीति को प्रवृद्ध करने वाले एवं रसयुक्त? स्निग्ध ( घी आदि की चिकनाई से युक्त) स्थिर तथा मन को प्रसन्न करने वाले आहार अर्थात् भोज्य पदार्थ सात्त्विक पुरुषों को प्रिय होते हैं।।