Bhagavad Gita Chapter 17 Verse 1 भगवद् गीता अध्याय 17 श्लोक 1 अर्जुन उवाच ये शास्त्रविधिमुत्सृज्य यजन्ते श्रद्धयाऽन्विताः। तेषां निष्ठा तु का कृष्ण सत्त्वमाहो रजस्तमः।।17.1।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 17.1) ।।17.1।।(टिप्पणी प0 833.2) अर्जुन बोले -- हे कृष्ण जो मनुष्य शास्त्रविधिका त्याग करके श्रद्धापूर्वक देवता आदिका पूजन करते हैं? उनकी निष्ठा फिर कौनसी है सात्त्विकी है अथवा राजसीतामसी हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।17.1।। अर्जुन ने कहा -- हे कृष्ण जो लोग शास्त्रविधि को त्यागकर (केवल) श्रद्धा युक्त यज्ञ (पूजा) करते हैं? उनकी स्थिति (निष्ठा) कौन सी है क्या वह सात्त्विक है अथवा राजसिक या तामसिक