Bhagavad Gita Chapter 16 Verse 3 भगवद् गीता अध्याय 16 श्लोक 3 तेजः क्षमा धृतिः शौचमद्रोहो नातिमानिता। भवन्ति सम्पदं दैवीमभिजातस्य भारत।।16.3।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 16.3) ।।16.3।।तेज (प्रभाव)? क्षमा? धैर्य? शरीरकी शुद्धि? वैरभावका न रहना और मानको न चाहना? हे भरतवंशी अर्जुन ये सभी दैवी सम्पदाको प्राप्त हुए मनुष्यके लक्षण हैं। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।16.3।। हे भारत तेज? क्षमा? धैर्य? शौच (शुद्धि)? अद्रोह और अतिमान (गर्व) का अभाव ये सब दैवी संपदा को प्राप्त पुरुष के लक्षण हैं।।