Bhagavad Gita Chapter 16 Verse 2 भगवद् गीता अध्याय 16 श्लोक 2 अहिंसा सत्यमक्रोधस्त्यागः शान्तिरपैशुनम्। दया भूतेष्वलोलुप्त्वं मार्दवं ह्रीरचापलम्।।16.2।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 16.2) ।।16.2।।अहिंसा? सत्यभाषण क्रोध न करना संसारकी कामनाका त्याग अन्तःकरणमें रागद्वेषजनित हलचलका न होना चुगली न करना प्राणियोंपर दया करना सांसारिक विषयोंमें न ललचाना अन्तःकरणकी कोमलता अकर्तव्य करनेमें लज्जा चपलताका अभाव। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।16.2।। अहिंसा? सत्य? क्रोध का अभाव? त्याग? शान्ति? अपैशुनम् (किसी की निन्दा न करना)? भूतमात्र के प्रति दया? अलोलुपता ? मार्दव (कोमलता)? लज्जा? अचंचलता।।