Bhagavad Gita Chapter 14 Verse 19 भगवद् गीता अध्याय 14 श्लोक 19 नान्यं गुणेभ्यः कर्तारं यदा द्रष्टानुपश्यति। गुणेभ्यश्च परं वेत्ति मद्भावं सोऽधिगच्छति।।14.19।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 14.19) ।।14.19।।जब विवेकी (विचारकुशल) मनुष्य तीनों गुणोंके सिवाय अन्य किसीको कर्ता नहीं देखता और अपनेको गुणोंसे पर अनुभव करता है? तब वह मेरे स्वरूपको प्राप्त हो जाता है। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।14.19।। जब द्रष्टा (साधक) पुरुष तीनों गुणों के अतिरिक्त किसी अन्य को कर्ता नहीं देखता? अर्थात् नहीं समझता है और तीनों गुणों से परे मेरे तत्व को जानता है? तब वह मेरे स्वरूप को प्राप्त होता है।।