Bhagavad Gita Chapter 13 Verse 35 भगवद् गीता अध्याय 13 श्लोक 35 क्षेत्रक्षेत्रज्ञयोरेवमन्तरं ज्ञानचक्षुषा। भूतप्रकृतिमोक्षं च ये विदुर्यान्ति ते परम्।।13.35।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 13.35) ।।13.35।।इस प्रकार जो ज्ञानरूपी नेत्रसे क्षेत्र और क्षेत्रज्ञके अन्तर(विभाग) को तथा कार्यकारणसहित प्रकृतिसे स्वयंको अलग जानते हैं? वे परमात्माको प्राप्त हो जाते हैं। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।13.35।। इस प्रकार? जो पुरुष ज्ञानचक्षु के द्वारा क्षेत्र और क्षेत्रज्ञ के भेद को तथा प्रकृति के विकारों से मोक्ष को जानते हैं? वे परम ब्रह्म को प्राप्त होते हैं।।