Bhagavad Gita Chapter 12 Verse 18 भगवद् गीता अध्याय 12 श्लोक 18 समः शत्रौ च मित्रे च तथा मानापमानयोः। शीतोष्णसुखदुःखेषु समः सङ्गविवर्जितः।।12.18।। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।12.18।। जो पुरुष शत्रु और मित्र में तथा मान और अपमान में सम है जो शीतउष्ण व सुखदुखादिक द्वन्द्वों में सम है और आसक्ति रहित है।। हिंदी टीका - स्वामी चिन्मयानंद जी ।।12.18।। See Commentary under 12.19