Bhagavad Gita Chapter 10 Verse 4 भगवद् गीता अध्याय 10 श्लोक 4 बुद्धिर्ज्ञानमसंमोहः क्षमा सत्यं दमः शमः। सुखं दुःखं भवोऽभावो भयं चाभयमेव च।।10.4।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 10.4) ।।10.4।।बुद्धि? ज्ञान? असम्मोह? क्षमा? सत्य? दम? शम? सुख? दुःख? भव? अभाव? भय? अभय? अहिंसा? समता? तुष्टि? तप? दान? यश और अपयश -- प्राणियोंके ये अनेक प्रकारके और अलगअलग (बीस) भाव मेरेसे ही होते हैं। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।10.4।। बुद्धि? ज्ञान? मोह का अभाव? क्षमा? सत्य? दम (इन्द्रिय संयम)? शम (मन संयम)? सुख? दुख? जन्म और मृत्यु? भय और अभय।।