Bhagavad Gita Chapter 10 Verse 11 भगवद् गीता अध्याय 10 श्लोक 11 तेषामेवानुकम्पार्थमहमज्ञानजं तमः। नाशयाम्यात्मभावस्थो ज्ञानदीपेन भास्वता।।10.11।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 10.11) ।।10.11।।उन भक्तोंपर कृपा करनेके लिये ही उनके स्वरूप (होनेपन) में रहनेवाला मैं उनके अज्ञानजन्य अन्धकारको देदीप्यमान ज्ञानरूप दीपकके द्वारा सर्वथा नष्ट कर देता हूँ। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।10.11।। उनके ऊपर अनुग्रह करने के लिए मैं उनके अन्तकरण में स्थित होकर? अज्ञानजनित अन्धकार को प्रकाशमय ज्ञान के दीपक द्वारा नष्ट करता हूँ।।