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Shri Hit Vrindavan Bhav Utsav ( Van Viharotsav ) By by Shree Hita Ambrish ji at Hisar in November 2013

Shri Hit Vrindavan Bhav Utsav ( Van Viharotsav ) Part 1 By Shree Hita Ambrish ji

Shri Hit Vrindavan Bhav Utsav ( Van Viharotsav ) Part 2 By Shree Hita Ambrish ji

Shri Hit Vrindavan Bhav Utsav ( Van Viharotsav ) Part 3 By Shree Hita Ambrish ji

Shri Hit Vrindavan Bhav Utsav ( Van Viharotsav ) Part 4 By Shree Hita Ambrish ji

Shri Hit Vrindavan Bhav Utsav ( Van Viharotsav ) Part 5 By Shree Hita Ambrish ji

Shri Hit Vrindavan Bhav Utsav ( Van Viharotsav ) Part 6 By Shree Hita Ambrish ji

Contents of this list:

A Beautiful Bhagwad Gita Reader
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9 Must Have Qualities Of A Good Vaishnav DevoteeWhat Is Navdha Bhakti? And Why Is It So Important For Us?How To Cultivate Gratitude For God And Feel Blessed In Life?Key Importance Of Bhav And Ras In Krishna Bhakti



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वृन्दावन के बांके बिहारी,
हमसे पर्दा करो ना मुरारी ।
प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो, चाहो तो पार
हरी नाम नहीं तो जीना क्या
अमृत है हरी नाम जगत में,
नी मैं दूध काहे नाल रिडका चाटी चो
लै गया नन्द किशोर लै गया,
वृन्दावन धाम अपार, जपे जा राधे राधे,
राधे सब वेदन को सार, जपे जा राधे राधे।
हर पल तेरे साथ मैं रहता हूँ,
डरने की क्या बात? जब मैं बैठा हूँ
सब हो गए भव से पार, लेकर नाम तेरा
नाम तेरा हरि नाम तेरा, नाम तेरा हरि नाम
मुँह फेर जिधर देखु मुझे तू ही नज़र आये
हम छोड़के दर तेरा अब और किधर जाये
दिल की हर धड़कन से तेरा नाम निकलता है
तेरे दर्शन को मोहन तेरा दास तरसता है
श्री राधा हमारी गोरी गोरी, के नवल
यो तो कालो नहीं है मतवारो, जगत उज्य
लाली की सुनके मैं आयी
कीरत मैया दे दे बधाई
वास देदो किशोरी जी बरसाना,
छोडो छोडो जी छोडो जी तरसाना ।
सावरे से मिलने का सत्संग ही बहाना है ।
सारे दुःख दूर हुए, दिल बना दीवाना है ।
किसी को भांग का नशा है मुझे तेरा नशा है,
भोले ओ शंकर भोले मनवा कभी न डोले,
राधे मोरी बंसी कहा खो गयी,
कोई ना बताये और शाम हो गयी,
श्यामा तेरे चरणों की गर धूल जो मिल
सच कहता हूँ मेरी तकदीर बदल जाए॥
जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी
मेरी रसना से राधा राधा नाम निकले,
हर घडी हर पल, हर घडी हर पल।
मेरा अवगुण भरा रे शरीर,
हरी जी कैसे तारोगे, प्रभु जी कैसे
मेरा अवगुण भरा शरीर, कहो ना कैसे
कैसे तारोगे प्रभु जी मेरो, प्रभु जी
मैं मिलन की प्यासी धारा
तुम रस के सागर रसिया हो
यशोमती मैया से बोले नंदलाला,
राधा क्यूँ गोरी, मैं क्यूँ काला
एक कोर कृपा की करदो स्वामिनी श्री
दासी की झोली भर दो लाडली श्री राधे॥
वृंदावन में हुकुम चले बरसाने वाली का,
कान्हा भी दीवाना है श्री श्यामा
मेरा आपकी कृपा से,
सब काम हो रहा है
ये सारे खेल तुम्हारे है
जग कहता खेल नसीबों का
तू कितनी अच्ची है, तू कितनी भोली है,
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ ।
शिव समा रहे मुझमें
और मैं शून्य हो रहा हूँ
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
तेरा गम रहे सलामत मेरे दिल को क्या कमी
यही मेरी ज़िंदगी है, यही मेरी बंदगी है

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नवमी मे माईया के स्वागत कर,
हाथ दुनो जोड़ गोड़ लागत कर,
गरज रही रण बीच कालका गरज रही,
गरज रही मैया बिखर रही,
दे दो अपनी नौकरी मैया जी एक बार,
बस इतनी तन्खा देना, बस इतनी तन्खा देना,
ज्योत जगे दिन रात ज्वाला तेरी ज्योत
ज्योत जगे दिन रात ज्वाला तेरी ज्योत
तेरा जादू भोले बाबा ऐसा सर पे छा गया,
मैं फिर से हरिद्वार मैं आ गया...