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Bhagavad Gita Chapter 12 by Swami Mukundananda in Hindi in April 2015 [video 1 To 7]

Bhagavad Gita in Hindi Chapter 12 - Swami Mukundananda [1/34] - Kalyan ka Marg

Bhagavad Gita in Hindi Chapter 12 - Swami Mukundananda [2/34] - Niraakar-Saakar Swaroop

Bhagavad Gita in Hindi Chapter 12 - Swami Mukundananda [3/34] - Srishti ka kram

Bhagavad Gita in Hindi Chapter 12 - Swami Mukundananda [4/34] - Brahmanand se upar hai Premanand

Bhagavad Gita in Hindi Chapter 12 - Swami Mukundananda [5/34] - Saakar Bhagwan ka Ras

Bhagavad Gita in Hindi Chapter 12 - Swami Mukundananda [6/34] - Bhagwan ki paribhasha

Bhagavad Gita in Hindi Chapter 12 - Swami Mukundananda [7/34] - Bhagavad Bhavna

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A Beautiful Bhagwad Gita Reader
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बांके बिहारी की देख छटा,
मेरो मन है गयो लटा पटा।
इक तारा वाजदा जी हर दम गोविन्द गोविन्द
जग ताने देंदा ए, तै मैनु कोई फरक नहीं
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से
गोविन्द नाम लेकर, फिर प्राण तन से
सांवरे से मिलने का, सत्संग ही बहाना है,
चलो सत्संग में चलें, हमें हरी गुण गाना
ऐसी होली तोहे खिलाऊँ
दूध छटी को याद दिलाऊँ
आँखों को इंतज़ार है सरकार आपका
ना जाने होगा कब हमें दीदार आपका
बृज के नन्द लाला राधा के सांवरिया
सभी दुख: दूर हुए जब तेरा नाम लिया
वृंदावन में हुकुम चले बरसाने वाली का,
कान्हा भी दीवाना है श्री श्यामा
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं
वो तो दशरथ राज दुलारे हैं
एक कोर कृपा की करदो स्वामिनी श्री
दासी की झोली भर दो लाडली श्री राधे॥
लाडली अद्बुत नज़ारा तेरे बरसाने में
लाडली अब मन हमारा तेरे बरसाने में है।
हम प्रेम दीवानी हैं, वो प्रेम दीवाना।
ऐ उधो हमे ज्ञान की पोथी ना सुनाना॥
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे दवार,
यहाँ से जो मैं हारा तो कहा जाऊंगा मैं
कैसे जिऊ मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही ना लागे तुम्हारे बिना
अपने दिल का दरवाजा हम खोल के सोते है
सपने में आ जाना मईया,ये बोल के सोते है
श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम
लोग करें मीरा को यूँ ही बदनाम
ਮੇਰੇ ਕਰਮਾਂ ਵੱਲ ਨਾ ਵੇਖਿਓ ਜੀ,
ਕਰਮਾਂ ਤੋਂ ਸ਼ਾਰਮਾਈ ਹੋਈ ਆਂ
राधे मोरी बंसी कहा खो गयी,
कोई ना बताये और शाम हो गयी,
लाली की सुनके मैं आयी
कीरत मैया दे दे बधाई
मोहे आन मिलो श्याम, बहुत दिन बीत गए।
बहुत दिन बीत गए, बहुत युग बीत गए ॥
जिंदगी एक किराये का घर है,
एक न एक दिन बदलना पड़ेगा॥
प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो, चाहो तो पार
जिनको जिनको सेठ बनाया वो क्या
उनसे तो प्यार है हमसे तकरार है ।
अरे बदलो ले लूँगी दारी के,
होरी का तोहे बड़ा चाव...
मेरा अवगुण भरा शरीर, कहो ना कैसे
कैसे तारोगे प्रभु जी मेरो, प्रभु जी
तेरे दर की भीख से है,
मेरा आज तक गुज़ारा
एक दिन वो भोले भंडारी बन कर के ब्रिज की
पारवती भी मना कर ना माने त्रिपुरारी,
राधे राधे बोल, राधे राधे बोल,
बरसाने मे दोल, के मुख से राधे राधे बोल,
नटवर नागर नंदा, भजो रे मन गोविंदा
शयाम सुंदर मुख चंदा, भजो रे मन गोविंदा
शिव समा रहे मुझमें
और मैं शून्य हो रहा हूँ

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कालेकाले शालिग्राम तुलसा हरीभरी,
तुलसा हरीभरी मेरे अंगना में खड़ी,
कृष्णा कृष्णा राधे कृष्णा कृष्णा
ओ कन्हैया ब्रज बसैया तुम जगत आधार हो,
मन हरि ओम हरि ओम गा ले,
नाम जपने की आदत बना ले...
गुजरी तेरी कृपा से प्रभु जिंदगी,
बाकी जितनी बची वो गुजर जाएगी,
जग ये मुझे क्या लुभाये भला क्या भटकाए,
जब खाटूवाला राह दिखाए,