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Shri Ram Katha by Krishna Chandra Shastri Ji in November 2014 at Kolkata, West Bengal

Kolkata, West Bengal ( 25 November 2014 ) | Shri Ram Katha | Krishna Chandra Shastri Ji

Kolkata, West Bengal ( 23 November 2014 ) | Shri Ram Katha | Krishna Chandra Shastri Ji

Kolkata, West Bengal ( 26 November 2014 ) | Shri Ram Katha | Krishna Chandra Shastri Ji | Part 1

Kolkata, West Bengal ( 26 November 2014 ) | Shri Ram Katha | Krishna Chandra Shastri Ji | Part 2

Kolkata, West Bengal ( 27 November 2014 ) | Shri Ram Katha | Krishna Chandra Shastri Ji | Part 1

Kolkata, West Bengal ( 28 November 2014 ) | Shri Ram Katha | Krishna Chandra Shastri Ji

Kolkata, West Bengal ( 29 November 2014 ) | Shri Ram Katha | Krishna Chandra Shastri Ji

Kolkata, West Bengal ( 30 November 2014 ) | Shri Ram Katha | Krishna Chandra Shastri Ji

Kolkata, West Bengal ( 1 December 2014 ) | Shri Ram Katha | Krishna Chandra Shastri Ji

Contents of this list:

A Beautiful Bhagwad Gita Reader
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15 Obstacles That Can Easily Derail Us From Our Path Of BhaktiKey Importance Of Bhav And Ras In Krishna Bhakti9 Must Have Qualities Of A Good Vaishnav DevoteeWhy Should One Do Bhakti? 80 Facts About Bhakti [Must Read]



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तू कितनी अच्ची है, तू कितनी भोली है,
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ ।
अपने दिल का दरवाजा हम खोल के सोते है
सपने में आ जाना मईया,ये बोल के सोते है
ऐसी होली तोहे खिलाऊँ
दूध छटी को याद दिलाऊँ
मेरे बांके बिहारी बड़े प्यारे लगते
कही नज़र न लगे इनको हमारी
मैं तो तुम संग होरी खेलूंगी, मैं तो तुम
वा वा रे रासिया, वा वा रे छैला
लाडली अद्बुत नज़ारा तेरे बरसाने में
लाडली अब मन हमारा तेरे बरसाने में है।
रसिया को नार बनावो री रसिया को
रसिया को नार बनावो री रसिया को
अच्युतम केशवं राम नारायणं,
कृष्ण दमोधराम वासुदेवं हरिं,
मन चल वृंदावन धाम, रटेंगे राधे राधे
मिलेंगे कुंज बिहारी, ओढ़ के कांबल काली
ना मैं मीरा ना मैं राधा,
फिर भी श्याम को पाना है ।
तेरे दर की भीख से है,
मेरा आज तक गुज़ारा
जा जा वे ऊधो तुरेया जा
दुखियाँ नू सता के की लैणा
कोई पकड़ के मेरा हाथ रे,
मोहे वृन्दावन पहुंच देओ ।
आज बृज में होली रे रसिया।
होरी रे रसिया, बरजोरी रे रसिया॥
हरी नाम नहीं तो जीना क्या
अमृत है हरी नाम जगत में,
सज धज कर जिस दिन मौत की शहजादी आएगी,
ना सोना काम आएगा, ना चांदी आएगी।
ज़िंदगी मे हज़ारो का मेला जुड़ा
हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा
सब दुख दूर हुए जब तेरा नाम लिया
कौन मिटाए उसे जिसको राखे पिया
राधे मोरी बंसी कहा खो गयी,
कोई ना बताये और शाम हो गयी,
मुझे चढ़ गया राधा रंग रंग, मुझे चढ़ गया
श्री राधा नाम का रंग रंग, श्री राधा नाम
सारी दुनियां है दीवानी, राधा रानी आप
कौन है, जिस पर नहीं है, मेहरबानी आप की
यह मेरी अर्जी है,
मैं वैसी बन जाऊं जो तेरी मर्ज़ी है
नगरी हो अयोध्या सी,रघुकुल सा घराना हो
चरन हो राघव के,जहा मेरा ठिकाना हो
ज़री की पगड़ी बाँधे, सुंदर आँखों वाला,
कितना सुंदर लागे बिहारी कितना लागे
मेरी करुणामयी सरकार पता नहीं क्या दे
क्या दे दे भई, क्या दे दे
प्रभु कर कृपा पावँरी दीन्हि
सादर भारत शीश धरी लीन्ही
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
लाली की सुनके मैं आयी
कीरत मैया दे दे बधाई
नटवर नागर नंदा, भजो रे मन गोविंदा
शयाम सुंदर मुख चंदा, भजो रे मन गोविंदा
मेरी रसना से राधा राधा नाम निकले,
हर घडी हर पल, हर घडी हर पल।

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मेरे शिव के शीश पै चंदा है, और जटा में
मैं जोगण शिव के नाम की, भोले को नहावन
कभी अपने भक्त के घर घर भी,
सांवरिया दरश दिखा जाना,
जिसे दुनिया हराये,
उसे श्याम जिताये,
श्याम सुंमिर श्याम सुमिर श्याम सुमिर
दुखड़े तेरे दूर करें बंसी के बजैया...
ॐ सांई नमो सांई राम नमो,
सांई सचिदानन्द मालिकाय नमो...