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At Nagpur Shree Ram Katha - Swami Avdheshanand Giriji Maharaj by Bhakti Sagartv 21 -27 Jan 15

Contents of this list:

Shree Ram Katha - Avdheshanand Giriji Maharaj (Day - 1) Nagpur
Shree Ram Katha - Avdheshanand Giriji Maharaj (Day - 2) Nagpur
Shree Ram Katha - Avdheshanand Giriji Maharaj (Day - 3) Nagpur
Shree Ram Katha - Avdheshanand Giriji Maharaj (Day - 4) Nagpur
Shree Ram Katha - Avdheshanand Giriji Maharaj (Day - 5) Nagpur
Shree Ram Katha - Avdheshanand Giriji Maharaj (Day - 7) Nagpur

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तेरे दर की भीख से है,
मेरा आज तक गुज़ारा
ये सारे खेल तुम्हारे है
जग कहता खेल नसीबों का
हे राम, हे राम, हे राम, हे राम
जग में साचे तेरो नाम । हे राम...
सावरे से मिलने का सत्संग ही बहाना है ।
सारे दुःख दूर हुए, दिल बना दीवाना है ।
जय राधे राधे, राधे राधे
जय राधे राधे, राधे राधे
प्रभु कर कृपा पावँरी दीन्हि
सादर भारत शीश धरी लीन्ही
मुझे रास आ गया है, तेरे दर पे सर झुकाना
तुझे मिल गया पुजारी, मुझे मिल गया
एक कोर कृपा की करदो स्वामिनी श्री
दासी की झोली भर दो लाडली श्री राधे॥
तेरे बगैर सांवरिया जिया नही जाये
तुम आके बांह पकड लो तो कोई बात बने‌॥
कैसे जिऊ मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही ना लागे तुम्हारे बिना
ज़री की पगड़ी बाँधे, सुंदर आँखों वाला,
कितना सुंदर लागे बिहारी कितना लागे
तेरी मुरली की धुन सुनने मैं बरसाने से
मैं बरसाने से आयी हूँ, मैं वृषभानु की
तेरा पल पल बिता जाए रे
मुख से जप ले नमः शवाए
वृंदावन में हुकुम चले बरसाने वाली का,
कान्हा भी दीवाना है श्री श्यामा
नगरी हो अयोध्या सी,रघुकुल सा घराना हो
चरन हो राघव के,जहा मेरा ठिकाना हो
नटवर नागर नंदा, भजो रे मन गोविंदा
शयाम सुंदर मुख चंदा, भजो रे मन गोविंदा
वृदावन जाने को जी चाहता है,
राधे राधे गाने को जी चाहता है,
तमन्ना यही है के उड के बरसाने आयुं मैं
आके बरसाने में तेरे दिल की हसरतो को
लाली की सुनके मैं आयी
कीरत मैया दे दे बधाई
राधे राधे बोल, राधे राधे बोल,
बरसाने मे दोल, के मुख से राधे राधे बोल,
साँवरिया ऐसी तान सुना,
ऐसी तान सुना मेरे मोहन, मैं नाचू तू गा ।
श्याम बंसी ना बुल्लां उत्ते रख अड़ेया
तेरी बंसी पवाडे पाए लख अड़ेया ।
मैं मिलन की प्यासी धारा
तुम रस के सागर रसिया हो
तेरा गम रहे सलामत मेरे दिल को क्या कमी
यही मेरी ज़िंदगी है, यही मेरी बंदगी है
यशोमती मैया से बोले नंदलाला,
राधा क्यूँ गोरी, मैं क्यूँ काला
कैसे जीऊं मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही न लगे श्यामा तेरे बिना
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से
गोविन्द नाम लेकर, फिर प्राण तन से
किसी को भांग का नशा है मुझे तेरा नशा है,
भोले ओ शंकर भोले मनवा कभी न डोले,
श्याम बुलाये राधा नहीं आये,
आजा मेरी प्यारी राधे बागो में झूला
आज बृज में होली रे रसिया।
होरी रे रसिया, बरजोरी रे रसिया॥

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मेरे दोनों हाथों में ऐसी लकीर है,
तुझसे मिलन होगा मेरी तक़दीर है,
मैंने ढूंढ लिया संसार मां तेरे जैसा
कोई नहीं मां कोई नहीं
गुरु चरण कमल बलिहारी रे,
मेरे मन की दुविधा टारी रे...
जद ज़िन्दगी विच घोर हनेरे पैणगे,
तेरे नाल गुरुजी रैणगे
सुन गौरा मां पार्वती तेरा दूल्हा कैसा
दूल्हा कैसा आया है वो सारे जग से