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Bhaktmal Katha, Kurukshetra (Haryana)

Bhaktmal Katha Part 1 In Kurukshetra By Pujya Swami Sh. Karun Dass Ji Maharaj

Bhaktmal Katha Part 2 In Kurukshetra By Pujya Swami Sh. Karun Dass Ji Maharaj

Bhaktmal Katha Part 3 In Kurukshetra By Pujya Swami Sh. Karun Dass Ji Maharaj

Bhaktmal Katha Part 4 In Kurukshetra By Pujya Swami Sh. Karun Dass

Bhaktmal Katha Part 5 In Kurukshetra By Pujya Swami Sh. Karun Dass

Bhaktmal Katha Part 6 In Kurukshetra By Pujya Swami Sh. Karun Dass

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Bhaktmal Katha Part 1 In Kurukshetra By Pujya Swami Sh. Karun Dass Ji Maharaj
Bhaktmal Katha Part 2 In Kurukshetra By Pujya Swami Sh. Karun Dass Ji Maharaj
Bhaktmal Katha Part 3 In Kurukshetra By Pujya Swami Sh. Karun Dass Ji Maharaj
Bhaktmal Katha Part 4 In Kurukshetra By Pujya Swami Sh. Karun Dass
Bhaktmal Katha Part 5 In Kurukshetra By Pujya Swami Sh. Karun Dass
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मीठे रस से भरी रे, राधा रानी लागे,
मने कारो कारो जमुनाजी रो पानी लागे
राधे मोरी बंसी कहा खो गयी,
कोई ना बताये और शाम हो गयी,
कैसे जीऊं मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही न लगे श्यामा तेरे बिना
तेरे दर की भीख से है,
मेरा आज तक गुज़ारा
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे द्वार,
यहाँ से गर जो हरा कहाँ जाऊँगा सरकार
तू राधे राधे गा ,
तोहे मिल जाएं सांवरियामिल जाएं
मैं मिलन की प्यासी धारा
तुम रस के सागर रसिया हो
बोल कान्हा बोल गलत काम कैसे हो गया,
बिना शादी के तू राधे श्याम कैसे हो गया
बांके बिहारी की देख छटा,
मेरो मन है गयो लटा पटा।
ज़रा छलके ज़रा छलके वृदावन देखो
ज़रा हटके ज़रा हटके ज़माने से देखो
सांवरे से मिलने का, सत्संग ही बहाना है,
चलो सत्संग में चलें, हमें हरी गुण गाना
अपने दिल का दरवाजा हम खोल के सोते है
सपने में आ जाना मईया,ये बोल के सोते है
सांवरिया है सेठ ,मेरी राधा जी सेठानी
यह तो सारी दुनिया जाने है
शिव कैलाशों के वासी, धौलीधारों के राजा
शंकर संकट हारना, शंकर संकट हारना
शिव समा रहे मुझमें
और मैं शून्य हो रहा हूँ
राधिका गोरी से ब्रिज की छोरी से ,
मैया करादे मेरो ब्याह,
श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम
लोग करें मीरा को यूँ ही बदनाम
तेरा गम रहे सलामत मेरे दिल को क्या कमी
यही मेरी ज़िंदगी है, यही मेरी बंदगी है
हे राम, हे राम, हे राम, हे राम
जग में साचे तेरो नाम । हे राम...
मेरा अवगुण भरा रे शरीर,
हरी जी कैसे तारोगे, प्रभु जी कैसे
दिल लूटके ले गया नी सहेलियो मेरा
मैं तक्दी रह गयी नी सहेलियो लगदा बड़ा
मेरी करुणामयी सरकार, मिला दो ठाकुर से
कृपा करो भानु दुलारी, श्री राधे बरसाने
अपनी वाणी में अमृत घोल
अपनी वाणी में अमृत घोल
श्यामा तेरे चरणों की गर धूल जो मिल
सच कहता हूँ मेरी तकदीर बदल जाए॥
कोई कहे गोविंदा कोई गोपाला,
मैं तो कहूँ सांवरिया बांसुरी वाला ।
एक कोर कृपा की करदो स्वामिनी श्री
दासी की झोली भर दो लाडली श्री राधे॥
एक दिन वो भोले भंडारी बन कर के ब्रिज की
पारवती भी मना कर ना माने त्रिपुरारी,
मुझे रास आ गया है,
तेरे दर पे सर झुकाना
यशोमती मैया से बोले नंदलाला,
राधा क्यूँ गोरी, मैं क्यूँ काला
किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाए।
जुबा पे राधा राधा राधा नाम हो जाए॥

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भोलेनाथ तुम्हारे मंदिर में, मैं नया
पूजा में कुछ भी लाया नहीं, बस अलख जगाने
दाता दर्श को तेरे मेरी अखियां तरसती
गम आंसुओं की धारा प्रकाश बरसती है...
मत मांगो यह वचन रानी मेरे प्राण चले
होये अयोध्या अनाथ आज मेरे राम बिछड़
मेरे प्राणों से प्यारे राम,
तुम्हारा करते हम गुणगान,
सीता राम जी की प्यारे राजधानी लागे,
मोहे मिठो मिठो सरयू जी को पानी लागे...