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Shrimad Bhagwat Katha By Jaya Kishori Ji in May 2015 at Pali, Rajasthan

Pali, Rajasthan (17 May 2015) | Shrimad Bhagwat Katha | Radhaswarupa Jaya Kishori Ji

Pali, Rajasthan ( May 2015) | Shrimad Bhagwat Katha | Radhaswarupa Jaya Kishori Ji

Pali, Rajasthan (19 May 2015) | Shrimad Bhagwat Katha | Radhaswarupa Jaya Kishori Ji

Pali, Rajasthan (20 May 2015) | Shrimad Bhagwat Katha | Radhaswarupa Jaya Kishori Ji

Pali, Rajasthan (21 May 2015) | Shrimad Bhagwat Katha | Radhaswarupa Jaya Kishori Ji

Pali, Rajasthan (22 May 2015) | Shrimad Bhagwat Katha | Radhaswarupa Jaya Kishori Ji

Pali, Rajasthan (23 May 2015) | Shrimad Bhagwat Katha | Radhaswarupa Jaya Kishori Ji

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11 Tips For Enhancing Devotional Service For Busy PeopleWhat Is Navdha Bhakti? And Why Is It So Important For Us?8 Yardsticks To Evaluate If My Bhakti Is Increasing?The Four Main Vaishnav Sampradayas & ISKCON



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मुझे रास आ गया है, तेरे दर पे सर झुकाना
तुझे मिल गया पुजारी, मुझे मिल गया
कारे से लाल बनाए गयी रे,
गोरी बरसाने वारी
जय राधे राधे, राधे राधे
जय राधे राधे, राधे राधे
शिव कैलाशों के वासी, धौलीधारों के राजा
शंकर संकट हारना, शंकर संकट हारना
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
हम प्रेम दीवानी हैं, वो प्रेम दीवाना।
ऐ उधो हमे ज्ञान की पोथी ना सुनाना॥
सब दुख दूर हुए जब तेरा नाम लिया
कौन मिटाए उसे जिसको राखे पिया
तुम रूठे रहो मोहन,
हम तुमको मन लेंगे
सत्यम शिवम सुन्दरम
सत्य ही शिव है, शिव ही सुन्दर है
दाता एक राम, भिखारी सारी दुनिया ।
राम एक देवता, पुजारी सारी दुनिया ॥
तेरे बगैर सांवरिया जिया नही जाये
तुम आके बांह पकड लो तो कोई बात बने‌॥
एक दिन वो भोले भंडारी बन कर के ब्रिज की
पारवती भी मना कर ना माने त्रिपुरारी,
हरी नाम नहीं तो जीना क्या
अमृत है हरी नाम जगत में,
सावरे से मिलने का सत्संग ही बहाना है ।
सारे दुःख दूर हुए, दिल बना दीवाना है ।
तेरे दर पे आके ज़िन्दगी मेरी
यह तो तेरी नज़र का कमाल है,
बोल कान्हा बोल गलत काम कैसे हो गया,
बिना शादी के तू राधे श्याम कैसे हो गया
बृज के नंदलाला राधा के सांवरिया,
सभी दुःख दूर हुए, जब तेरा नाम लिया।
हो मेरी लाडो का नाम श्री राधा
श्री राधा श्री राधा, श्री राधा श्री
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से
गोविन्द नाम लेकर, फिर प्राण तन से
कोई पकड़ के मेरा हाथ रे,
मोहे वृन्दावन पहुंच देओ ।
मुँह फेर जिधर देखु मुझे तू ही नज़र आये
हम छोड़के दर तेरा अब और किधर जाये
प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो, चाहो तो पार
आँखों को इंतज़ार है सरकार आपका
ना जाने होगा कब हमें दीदार आपका
मेरी विनती यही है राधा रानी, कृपा
मुझे तेरा ही सहारा महारानी, चरणों से
तू कितनी अच्ची है, तू कितनी भोली है,
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ ।
ज़िंदगी मे हज़ारो का मेला जुड़ा
हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा
कोई कहे गोविंदा, कोई गोपाला।
मैं तो कहुँ सांवरिया बाँसुरिया वाला॥
कोई कहे गोविंदा कोई गोपाला,
मैं तो कहूँ सांवरिया बांसुरी वाला ।
राधा नाम की लगाई फुलवारी, के पत्ता
के पत्ता पत्ता श्याम बोलता, के पत्ता
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे दवार,
यहाँ से जो मैं हारा तो कहा जाऊंगा मैं

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मईया कबसे इंतजार है भक्तो को तुम्हारा,
शेर पर सवार हो आ जाओ सजा द्वारा,
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मेरे राम के चरण को मन में बसा लो भैया,
रहती हैं उनके संग संग जग जननी सीता
आ रहा है ज़रा देखो वो खाटूवाला,
दर्द मेरा वो मिटाएगा लीले वाला,
मेरी फरियाद सुनले माँ,
तेरे दर आया दीवाना,