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Sukhbodhananda

Swami Sukhabodhananda's Discourse on Bravery Part 1

Swami Sukhabodhananda's Discourse on Bravery Part 2

Swami Sukhabodhananda's Discourse on Bravery Part 3

02 JOKES TO JOY

EGO - Edging God Out (Bhagavad Gita - Vol. 9 & 10)

Contents of this list:

Swami Sukhabodhananda's Discourse on Bravery Part 1
Swami Sukhabodhananda's Discourse on Bravery Part 2
Swami Sukhabodhananda's Discourse on Bravery Part 3
02 JOKES TO JOY
EGO - Edging God Out (Bhagavad Gita - Vol. 9 & 10)

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हम प्रेम नगर के बंजारिन है
जप ताप और साधन क्या जाने
हम प्रेम दीवानी हैं, वो प्रेम दीवाना।
ऐ उधो हमे ज्ञान की पोथी ना सुनाना॥
जा जा वे ऊधो तुरेया जा
दुखियाँ नू सता के की लैणा
ये सारे खेल तुम्हारे है
जग कहता खेल नसीबों का
नगरी हो अयोध्या सी,रघुकुल सा घराना हो
चरन हो राघव के,जहा मेरा ठिकाना हो
प्रीतम बोलो कब आओगे॥
बालम बोलो कब आओगे॥
मेरा आपकी कृपा से,
सब काम हो रहा है
मेरा यार यशुदा कुंवर हो चूका है
वो दिल हो चूका है जिगर हो चूका है
तेरा पल पल बिता जाए रे
मुख से जप ले नमः शवाए
कोई कहे गोविंदा, कोई गोपाला।
मैं तो कहुँ सांवरिया बाँसुरिया वाला॥
मुझे रास आ गया है, तेरे दर पे सर झुकाना
तुझे मिल गया पुजारी, मुझे मिल गया
श्याम बंसी ना बुल्लां उत्ते रख अड़ेया
तेरी बंसी पवाडे पाए लख अड़ेया ।
यशोमती मैया से बोले नंदलाला,
राधा क्यूँ गोरी, मैं क्यूँ काला
तेरे दर की भीख से है,
मेरा आज तक गुज़ारा
बहुत बड़ा दरबार तेरो बहुत बड़ा दरबार,
चाकर रखलो राधा रानी तेरा बहुत बड़ा
दुनिया का बन कर देख लिया, श्यामा का बन
राधा नाम में कितनी शक्ति है, इस राह पर
मेरी करुणामयी सरकार, मिला दो ठाकुर से
कृपा करो भानु दुलारी, श्री राधे बरसाने
तुम रूठे रहो मोहन,
हम तुमको मन लेंगे
कैसे जिऊ मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही ना लागे तुम्हारे बिना
तेरी मुरली की धुन सुनने मैं बरसाने से
मैं बरसाने से आयी हूँ, मैं वृषभानु की
हरी नाम नहीं तो जीना क्या
अमृत है हरी नाम जगत में,
बोल कान्हा बोल गलत काम कैसे हो गया,
बिना शादी के तू राधे श्याम कैसे हो गया
वृंदावन में हुकुम चले बरसाने वाली का,
कान्हा भी दीवाना है श्री श्यामा
नटवर नागर नंदा, भजो रे मन गोविंदा
शयाम सुंदर मुख चंदा, भजो रे मन गोविंदा
वास देदो किशोरी जी बरसाना,
छोडो छोडो जी छोडो जी तरसाना ।
तीनो लोकन से न्यारी राधा रानी हमारी।
राधा रानी हमारी, राधा रानी हमारी॥
मोहे आन मिलो श्याम, बहुत दिन बीत गए।
बहुत दिन बीत गए, बहुत युग बीत गए ॥
मुँह फेर जिधर देखु मुझे तू ही नज़र आये
हम छोड़के दर तेरा अब और किधर जाये
सावरे से मिलने का सत्संग ही बहाना है ।
सारे दुःख दूर हुए, दिल बना दीवाना है ।
राधा ढूंढ रही किसी ने मेरा श्याम देखा
श्याम देखा घनश्याम देखा

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माये नी तेरा मन्दर सोहणा,
तीन लोक विच इसदे वरगा होर ना कोई होणा,
यह दानेदार माला मेरे किस काम की,
इसमें तस्वीर नहीं है मेरे श्री राम की...
सुमर मनवा,
सुमर मनवा, सुमर मनुवा,
दुनियादारी के सब झूठे रिश्ते नाते
माँ सांचे दर तेरे आये मिथ्या जग को
छुपे हो तुम कहां श्यामा मेरी अब लाज
तुम्ही एक आसरा मेरा तुम्हारी याद आती