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Sadhvi Chitralekha Devi ji

Sadhvi Chitralekha Deviji - Day 1 of 7 Shrimad Bhagwat Katha - Part 2 of 27

Sadhvi Chitralekha Deviji - Day 1 of 7 Shrimad Bhagwat Katha - Part 3 of 27

Sadhvi Chitralekha Deviji - Day 1 of 7 Shrimad Bhagwat Katha - Part 1 of 27

Sadhvi Chitralekha Deviji - Day 3 of 7 Shrimad Bhagwat Katha - Part 3 of 23

Sadhvi Chitralekha Deviji - Day 3 of 7 Shrimad Bhagwat Katha - Part 1 of 23

Sadhvi Chitralekha Deviji - Day 4 of 7 Shrimad Bhagwat Katha - Part 10 of 24

Contents of this list:

Sadhvi Chitralekha Deviji - Day 1 of 7 Shrimad Bhagwat Katha - Part 2 of 27
Sadhvi Chitralekha Deviji - Day 1 of 7 Shrimad Bhagwat Katha - Part 3 of 27
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Sadhvi Chitralekha Deviji - Day 4 of 7 Shrimad Bhagwat Katha - Part 10 of 24

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Key Importance Of Bhav And Ras In Krishna Bhakti14 Tips To Overcome Tough Times Through Devotional Love For God15 Obstacles That Can Easily Derail Us From Our Path Of Bhakti9 Must Have Qualities Of A Good Vaishnav Devotee



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राधा नाम की लगाई फुलवारी, के पत्ता
के पत्ता पत्ता श्याम बोलता, के पत्ता
सुबह सवेरे  लेकर तेरा नाम प्रभु,
करते है हम शुरु आज का काम प्रभु,
जीवन खतम हुआ तो जीने का ढंग आया
जब शमा बुझ गयी तो महफ़िल में रंग आया
किसी को भांग का नशा है मुझे तेरा नशा है,
भोले ओ शंकर भोले मनवा कभी न डोले,
तेरी मुरली की धुन सुनने मैं बरसाने से
मैं बरसाने से आयी हूँ, मैं वृषभानु की
कैसे जीऊं मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही न लगे श्यामा तेरे बिना
रसिया को नार बनावो री रसिया को
रसिया को नार बनावो री रसिया को
राधे तु कितनी प्यारी है ॥
तेरे संग में बांके बिहारी कृष्ण
मेरे बांके बिहारी बड़े प्यारे लगते
कही नज़र न लगे इनको हमारी
लाली की सुनके मैं आयी
कीरत मैया दे दे बधाई
आज बृज में होली रे रसिया।
होरी रे रसिया, बरजोरी रे रसिया॥
कोई कहे गोविंदा, कोई गोपाला।
मैं तो कहुँ सांवरिया बाँसुरिया वाला॥
किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाए।
जुबा पे राधा राधा राधा नाम हो जाए॥
अपने दिल का दरवाजा हम खोल के सोते है
सपने में आ जाना मईया,ये बोल के सोते है
मेरा यार यशुदा कुंवर हो चूका है
वो दिल हो चूका है जिगर हो चूका है
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से
गोविन्द नाम लेकर, फिर प्राण तन से
प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो, चाहो तो पार
मन चल वृंदावन धाम, रटेंगे राधे राधे
मिलेंगे कुंज बिहारी, ओढ़ के कांबल काली
कारे से लाल बनाए गयी रे,
गोरी बरसाने वारी
राधे मोरी बंसी कहा खो गयी,
कोई ना बताये और शाम हो गयी,
नी मैं दूध काहे नाल रिडका चाटी चो
लै गया नन्द किशोर लै गया,
हर साँस में हो सुमिरन तेरा,
यूँ बीत जाये जीवन मेरा
श्याम हमारे दिल से पूछो, कितना तुमको
याद में तेरी मुरली वाले, जीवन यूँ ही
हम प्रेम नगर के बंजारिन है
जप ताप और साधन क्या जाने
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे दवार,
यहाँ से जो मैं हारा तो कहा जाऊंगा मैं
तू राधे राधे गा ,
तोहे मिल जाएं सांवरियामिल जाएं
श्याम बुलाये राधा नहीं आये,
आजा मेरी प्यारी राधे बागो में झूला
कोई पकड़ के मेरा हाथ रे,
मोहे वृन्दावन पहुंच देओ ।
तीनो लोकन से न्यारी राधा रानी हमारी।
राधा रानी हमारी, राधा रानी हमारी॥
फूलों में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन
और संग में सज रही है वृषभानु की

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तेरी कृपा का न अंत है,
दीनों पे तू दयावंत है,
हमको कन्हैया लगे क्यों भुलाने,
हम भी तो मोहन तेरे दीवाने,
श्याम बाबा श्याम बाबा,
तेरे पास आया हूँ,
आ गया मैं दुनियादारी,
सारी बाबा छोड़ के,
बोल सांचे दरबार की जय..
इन नैनो में बसी है मैया तस्वीर