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Bhagwat Katha By Devi Chitralekha ji in October 2012

Sadhvi Chitralekha Deviji Day 2 of 7 Shrimad Bhagwat Katha

Sadhvi Chitralekha Deviji - Day 7 of 7 Shrimad Bhagwat Katha

Contents of this list:

A Beautiful Bhagwad Gita Reader
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फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
सब हो गए भव से पार, लेकर नाम तेरा
नाम तेरा हरि नाम तेरा, नाम तेरा हरि नाम
ऐसी होली तोहे खिलाऊँ
दूध छटी को याद दिलाऊँ
आप आए नहीं और सुबह हो मई
मेरी पूजा की थाली धरी रह गई
श्यामा प्यारी मेरे साथ हैं,
फिर डरने की क्या बात है
सज धज कर जिस दिन मौत की शहजादी आएगी,
ना सोना काम आएगा, ना चांदी आएगी।
जग में सुन्दर है दो नाम, चाहे कृष्ण कहो
बोलो राम राम राम, बोलो श्याम श्याम
तू राधे राधे गा ,
तोहे मिल जाएं सांवरियामिल जाएं
किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाए।
जुबा पे राधा राधा राधा नाम हो जाए॥
ये तो बतादो बरसानेवाली,मैं कैसे
तेरी कृपा से है यह जीवन है मेरा,कैसे
कैसे जिऊ मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही ना लागे तुम्हारे बिना
मेरी विनती यही है राधा रानी, कृपा
मुझे तेरा ही सहारा महारानी, चरणों से
मेरी रसना से राधा राधा नाम निकले,
हर घडी हर पल, हर घडी हर पल।
दिल की हर धड़कन से तेरा नाम निकलता है
तेरे दर्शन को मोहन तेरा दास तरसता है
लाली की सुनके मैं आयी
कीरत मैया दे दे बधाई
यशोमती मैया से बोले नंदलाला,
राधा क्यूँ गोरी, मैं क्यूँ काला
राधा नाम की लगाई फुलवारी, के पत्ता
के पत्ता पत्ता श्याम बोलता, के पत्ता
सब दुख दूर हुए जब तेरा नाम लिया
कौन मिटाए उसे जिसको राखे पिया
हम प्रेम दीवानी हैं, वो प्रेम दीवाना।
ऐ उधो हमे ज्ञान की पोथी ना सुनाना॥
हो मेरी लाडो का नाम श्री राधा
श्री राधा श्री राधा, श्री राधा श्री
राधे तु कितनी प्यारी है ॥
तेरे संग में बांके बिहारी कृष्ण
नटवर नागर नंदा, भजो रे मन गोविंदा
शयाम सुंदर मुख चंदा, भजो रे मन गोविंदा
तू कितनी अच्ची है, तू कितनी भोली है,
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ ।
सावरे से मिलने का सत्संग ही बहाना है ।
सारे दुःख दूर हुए, दिल बना दीवाना है ।
मेरा अवगुण भरा रे शरीर,
हरी जी कैसे तारोगे, प्रभु जी कैसे
राधे मोरी बंसी कहा खो गयी,
कोई ना बताये और शाम हो गयी,
रंग डालो ना बीच बाजार
श्याम मैं तो मर जाऊंगी
मुँह फेर जिधर देखु मुझे तू ही नज़र आये
हम छोड़के दर तेरा अब और किधर जाये
हे राम, हे राम, हे राम, हे राम
जग में साचे तेरो नाम । हे राम...
अच्युतम केशवं राम नारायणं,
कृष्ण दमोधराम वासुदेवं हरिं,

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दगरो छोड़ दे रे लांगुरिया...
भोलेनाथ भोलेनाथ,
सर पे रख दो मेरे हाथ,
मेरे भोलेनाथ जी मेरा तुमसे कुछ तो नाता
जो तेरी नगरी में आता है वो सदा सुख पाता
खुली हवा में महक श्याम की भक्तों को है
कीर्तन की है रात सभी के कष्ट मिटाने आई,
आये हैं दिन सावन के,
गंगा जल से भर के गगरिया,