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Bhagwat Katha By Chitralekha ji in August, 2014 in Gurgaon, India

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A Beautiful Bhagwad Gita Reader
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प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो, चाहो तो पार
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
मेरा अवगुण भरा रे शरीर,
हरी जी कैसे तारोगे, प्रभु जी कैसे
अपने दिल का दरवाजा हम खोल के सोते है
सपने में आ जाना मईया,ये बोल के सोते है
मेरी रसना से राधा राधा नाम निकले,
हर घडी हर पल, हर घडी हर पल।
कोई कहे गोविंदा कोई गोपाला,
मैं तो कहूँ सांवरिया बांसुरी वाला ।
कैसे जीऊं मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही न लगे श्यामा तेरे बिना
मेरा आपकी कृपा से,
सब काम हो रहा है
प्रीतम बोलो कब आओगे॥
बालम बोलो कब आओगे॥
तू कितनी अच्ची है, तू कितनी भोली है,
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ ।
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं
वो तो दशरथ राज दुलारे हैं
मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री कैसो चटक
श्याम मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री
तेरे दर की भीख से है,
मेरा आज तक गुज़ारा
सांवरियो है सेठ, म्हारी राधा जी सेठानी
यह तो जाने दुनिया सारी है
जीवन खतम हुआ तो जीने का ढंग आया
जब शमा बुझ गयी तो महफ़िल में रंग आया
आज बृज में होली रे रसिया।
होरी रे रसिया, बरजोरी रे रसिया॥
मीठी मीठी मेरे सांवरे की मुरली बाजे,
होकर श्याम की दीवानी राधा रानी नाचे
ये तो बतादो बरसानेवाली,मैं कैसे
तेरी कृपा से है यह जीवन है मेरा,कैसे
साँवरिया ऐसी तान सुना,
ऐसी तान सुना मेरे मोहन, मैं नाचू तू गा ।
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे द्वार,
यहाँ से गर जो हरा कहाँ जाऊँगा सरकार
गोवर्धन वासी सांवरे, गोवर्धन वासी
तुम बिन रह्यो न जाय, गोवर्धन वासी
वृन्दावन के बांके बिहारी,
हमसे पर्दा करो ना मुरारी ।
सब दुख दूर हुए जब तेरा नाम लिया
कौन मिटाए उसे जिसको राखे पिया
राधा नाम की लगाई फुलवारी, के पत्ता
के पत्ता पत्ता श्याम बोलता, के पत्ता
मुझे रास आ गया है, तेरे दर पे सर झुकाना
तुझे मिल गया पुजारी, मुझे मिल गया
दिल लूटके ले गया नी सहेलियो मेरा
मैं तक्दी रह गयी नी सहेलियो लगदा बड़ा
मैं मिलन की प्यासी धारा
तुम रस के सागर रसिया हो
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे दवार,
यहाँ से जो मैं हारा तो कहा जाऊंगा मैं
तुम रूठे रहो मोहन,
हम तुमको मन लेंगे
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से
गोविन्द नाम लेकर, फिर प्राण तन से

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बोलिये बालाजी महाराज की जय
मैं हूँ कृष्ण का दीवाना मैं कृष्ण
मैं कृष्ण बोलता हु मैं कृष्ण बोलता
दर साई के चल तू संग मेरे चल,
वो सबका मलिक,
मां पतित पावनी है, मां जगत तारणी हैं,
माँ ही रेवा, माँ ही गंगा, तमस हारिणी है...
आओ आओ गजानन आओ,
आके भक्तों का मान बढ़ाओ